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Starlink को बिना नीलामी के मिला स्पेक्ट्रम, तो उखड़े Jio के मिजाज, कह दी ऐसी बात!

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Starlink के भारत में आने को लेकर जियो ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. जियो का कहना है कि स्पेक्ट्रम का आवंटन नीलामी के माध्यम से होना चाहिए, ताकि सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों को समान अवसर मिल सके.Jio Vs Starlink: रिलायंस जियो ने सैटेलाइट कम्यूनिकेशन कंपनियों को नीलामी के बिना स्पेक्ट्रम आवंटित करने के प्रस्ताव का विरोध किया है. कंपनी ने कहा कि स्पेक्ट्रम नीलामी से देश की कंपनियों को विदेशी सैटेलाइट कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा. यह इंडस्ट्री के हित में है.

कंपनी ने इस बारे में टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई को लिखी एक चिट्ठी में कहा कि एलन मस्क के स्वामित्व वाली स्टारलिंक और अमेजन की कुइपर की जॉइंट सैटकॉम बैंडविड्थ पिछले कुछ वर्षों में सभी तीन बड़ी भारतीय टेलीकॉम कंपनियों की बनायी गई क्षमता से अधिक है.
जियो ने कहा, नीलामी के जरिये स्पेक्ट्रम एलोकेशन भारतीय यूनिट्स को विदेशी कंपनियों के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा करने का मौका देगा. विदेशी कंपनियों ने पहले आओ पहले पाओ आधारित आईटीयू (अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ) की प्राथमिकता सूची को बाधित किया है और अपने ग्रुप के फायदे के लिए पूरा प्लान बनाया है.

पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने कहा कि इस बारे में चीजें स्पष्ट और निश्चित नहीं हैं और स्पेक्ट्रम एलोकेशन को प्राथमिकता देने के बावजूद, कोई भी भारतीय इकाई कभी भी अपना स्वयं का एनजीएसओ (गैर-जियोस्टेशनरी कक्षा) शुरू नहीं कर पाएगी.

दूरसंचार अधिनियम 2023 में सैटकॉम कंपनियों को नीलामी के बिना प्रशासनिक व्यवस्था के जरिये स्पेक्ट्रम आवंटन करने की बात कही गई है. इसकी वजह उपग्रह कंपनियों को आवंटित रेडियो फ्रीक्वेंसी को एक कॉमन स्पेक्ट्रम माना जाता है और माना जाता है कि सैटकॉम इकाई को अलग से फ्रीक्वेंसी एलॉट करना तकनीकी रूप से संभव नहीं है. जियो ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि सैटकॉम सर्विसेज उन टेलीकॉम सर्विसेज की पूरक होंगी, जहां कोई नेटवर्क कवरेज नहीं है.

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