
*अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में श्रृंगार,ओज और हास्य की बही वयार*
हम बदले तो बेवफा निकले वो बदले तो मज़बूरी है…..
Your message has been sent
*जीटी-7, सुशील कुमार विश्वकर्मा संवाददाता दिबियापुर ब्यूरो रिपोर्ट।
24 अगस्त 2024
दिबियापुर,औरैया।
शनिवार रात स्थानीय नारायणी मंडपम में भारत विकास परिषद की प्रस्तुति अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में मानों रसिक श्रोताओं का बड़ा समूह उमड़ पड़ा हो।नगर के लगभग सभी गणमान्य लोगों की पूरे कवि सम्मेलन में उपस्तिथि ने माहौल को खास बना दिया। श्रृंगार, ओज व हास्य-व्यंग्य के रचनाकार सभी कवियों को भरपूर सुना गया।
मां सरस्वती एवं भारत माता व स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ शुरू होकर रात्रि 2 तक चले इस कवि सम्मेलन में साहित्यानुरागियों ने यश भारती से सम्मानित गीतकार डॉक्टर विष्णु सक्सेना को देर रात तक सुना। .गीतकार गजेंद्र प्रियांशु ने श्रंगार से पूरे माहौल को सराबोर कर दिया तो हास्य कवि अखिलेश द्विवेदी ने जमकर लोगों को गुदगुदाया। रुचि चतुर्वेदी ने स्वरों से शमा बांधा तो संचालन की कुशलता से सर्वेश अस्थाना ने लोगों को जमकर आनंद दिया साथ ही शौर्य से लबरेज अजय अंजाम ने ‘चेतक’ के साथ माहौल में जोश और जुनून पैदा कर दिया।
इससे पहले नगर पंचायत अध्यक्ष राघव मिश्रा ने सभी कवियों और अतिथियों का वैज अलंकरण एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया। गीतकार डॉक्टर विष्णु सक्सेना ने अपने खास अंदाज में कई मुक्तक और गीत सुना तो लोग उनके साथ झूमने को मजबूर हो गये। श्रोताओं की मांग पर उन्होंने अपनी पहचान बन चुके कई गीत सुनाए। मुख्य रूप से तुम हमारी कसम तोड़ दो, हम तुम्हारी कसम तोड़ दें तथा रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं जैसी प्रतिनिधि रचनाएं श्रोताओं ने जमकर सुनी।
उनकी यह रचना तन और मन हैं पास बहुत फिर, सोच-सोच में क्यों दूरी है,हम बदले तो कहा बेवफा वो बदले तो मजबूरी है।गीतकार प्रियांशु गजेंद्र ने एक से बढ़कर एक कई गीत सुनाए और जमकर तालियां बटोरीं। उनकी यह रचना बेहद सराही गई। पांव बेचकर सफर खरीदे, सफर बेचकर राहें, जब मैं खुद को बेंच चुका तो सबकी पड़ी निगाहें तथा तुम जहां बारूद की फसलें उगाते मैं उन्हीं खेतों में मेंहदी बो रहा हूं।