बुरे कर्मों का त्याग ही ईश्वर की सच्ची उपासना भगवताचार्य- पं सुदीप कृष्णदेव

जीटी-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क कानपुर मंडलब्यूरो रिपोर्ट, रामप्रकाश शर्मा।
22 फरवरी 2024
#बिधूना,औरैया।
शिव मंदिर भिखरा गढी पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्री वृंदावन धाम मथुरा के भगवताचार्य पंडित सुदीप कृष्णदेव ने कहा कि बुरे कर्मों का त्याग करना ही ईश्वर की सच्ची उपासना है। उन्होंने धुंधकारी की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि प्रसव पीड़ा से बचने के लिए धुंधली ने संतान प्राप्त के लिए पति द्वारा लाए हुए फल का त्याग कर दिया और चोरी से वह फल गाय को खिला दिया।
कथावाचक आचार्य ने आगे कहा कि धुंधली ने गर्भधारण किया लेकिन अपने गलत आचरण के चलते धुंधकारी जैसे पापी पुत्र को जन्म दिया और धुंधकारी अपने माता-पिता की मृत्यु का कारण बना वहीं गाय ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका पूरा शरीर मनुष्य का था और कान गाय के थे उसका नाम गोकर्ण रखा गया जबकि धुंधली के पुत्र का नाम धुंधकारी रखा गया। साधू के आशीर्वाद से हुआ पुत्र गोकर्ण ज्ञानी धर्मात्मा हुआ जबकि धुंधकारी व्यभिचारी मदिराचारी दुरात्मा निकला। व्यसन में पड़कर चोरी करने लगा वेश्याओं को घर में लाने लगा एक दिन वेश्याओं ने लोभ में आकर उसकी हत्या कर दी। बाद में वह प्रेत बना जिसकी प्रेतात्मा से मुक्ति के लिए गोकर्ण ने भागवत कथा का आयोजन किया। भागवत कथा सुनकर उसे प्रेतात्मा से मुक्ति मिली और मोक्ष की प्राप्ति हुई। भगवताचार्य ने सुखदेव जन्म की कथा का वर्णन करते हुए कहा पार्वती ने शंकर से कहा कि मुझे अमर कथा सुनाइए अमर कथा सुनाते समय वहां एक तोते का अंडा था जो अमर कथा के प्रभाव से फूट गया और उससे सुखदेव का प्राकट्य हुआ। कथा सुनते सुनते पार्वती सो गई तो वह पूरी कथा सुखदेव ने सुनी और अमर हो गये। उन्होंने ध्रुव प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि सौतेली मां से अपमानित होकर 5 वर्ष के बालक ध्रुव जंगल में तपस्या करने चले गए अपनी तपस्या से परम पद को प्राप्त किया। भागवताचार्य पंडित सुदीप कृष्ण देव महाराज ने नशा मुक्ति पर चर्चा करते हुए कहा कि नशे के कारण आज समाज में बच्चों का जीवन बर्बाद हो रहा है यदि नशा करना है तो गोविंद के नाम का नशा करिए जिससे जीवन संवर जाए। बाद में कथा के विश्राम पर आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक कृष्ण प्रताप सिंह सेंगर भैयाजी, परीक्षित रमा सेंगर, सुनील सेंगर, पूर्व प्रधान लोकेंद्र प्रताप सिंह सेंगर, ओमकार सिंह सेंगर व श्यामचंद बाजपेई आदि प्रमुख लोगों के साथ बडी संख्या में श्रद्धालु श्रोतागण मौजूद थे।