Uncategorized

कर्पूरी ठाकुर के विचारों को आत्मसात करेगी बीजेपी…?

ग्लोबल टाईम्स 7 न्यूज नेटवर्क

???? भारत रत्न देना राजनीतिक मजबूरी तो नहीं…!

???? कर्पूरी की जन्म शताब्दी के साथ ही गर्म हुई बिहार की सियासत

???? नितीश के एनडीए में पुन: शामिल होने की चर्चाओं ने पकड़ा जोर..!

???? समाजवादी विचारधारा के महान नेता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर को मौजूदा केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा जन्म शताब्दी के अवसर पर भारत रत्न दिया जाना बड़े सवाल पैदा कर रहा है। कभी मंडल के विरोध में कमंडल की यात्रा करने वाली बीजेपी की यह दरियादिली देश के कई राजनीतिक विशेषज्ञों को हजम नहीं हो रही और समाजवादी विचारधारा से जुड़े एक वर्ग का ऐसा मानना है कि बिहार सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने के बाद कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया जाना मोदी सरकार की बड़ी मजबूरी है…! मुंगेरीलाल रिपोर्ट की सिफारिश को बिहार में लागू करने में कर्पूरी ठाकुर का विशेष योगदान माना जाता है और उस समय के राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि गरीब एवं पिछड़ों के हक़ की लड़ाई लड़ने वाले कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में पहली बार 26 प्रतिशत आरक्षण लागू किया जिसके बाद बिहार पहला ऐसा राज्य बना जिसने सन 1979 में गरीबो एवं पिछड़ो के लिए आरक्षण लागू किया था। हालांकि इसके करीब 10 वर्ष बाद बीपी मंडल रिपोर्ट के आधार पर सन 1989 में मंडल कमीशन की सिफारिश को लागू करने का काम तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने किया था, जिसका श्रेय हमेशा उन्हें दिया जाता है। जहां एक ओर बीपी सिंह मंडल कमीशन लागू कर रहे थे तभी दूसरी ओर इसके विरोध में भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा संरक्षक एवं संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी ने राम रथ यात्रा निकालने का ऐलान कर दिया था, जिसके सारथी स्वयं मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने थे…! वैसे ये कोई पहली बार नहीं था जब भाजपा ने आरक्षण व्यवस्था का विरोध किया था…! कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को हुआ था, जबकि उनकी मृत्यु 17 फरवरी 1988 को हुई थी। सन 1952 से बिहार की सक्रिय राजनीति में वह नजर आए और 1967 में वह पहली बार बिहार के उपमुख्यमंत्री बने। कर्पूरी ठाकुर सन 1971 एवं 1977 में बिहार के मुख्यमंत्री बने और उनका बतौर सीएम कार्यकाल मात्र 38 माह ही बताया जाता है। जब कर्पूरी ठाकुर ने सन 1979 में गरीबो, पिछड़ों एवं अति पिछड़ों के लिए मुंगेरीलाल कमीशन की सिफारिश को मानते हुए पिछड़ा 12, अति पिछड़ा 08, गरीब सवर्ण 03 व महिलाओ को 03 प्रतिशत का आरक्षण लागू किया तो जन संघ के वरिष्ठ नेता कैलाशपति मिश्र ने इसका जमकर विरोध किया और अंतत: कर्पूरी ठाकुर की सरकार गिर गई। इसके बाद कई ऐसे मौके आये जब भारतीय जनता पार्टी व स्वयं सेवक संघ के लोगो ने समय-समय पर उनका खुलकर विरोध किया। कर्पूरी ठाकुर का पूरा जीवन गरीब, दलित एवं पिछड़ो के अधिकारों को लेकर समर्पित रहा, जबकि भाजपा की विचारधारा हमेशा इससे अलग-थलग ही नजर आई..! हालांकि अब एक वर्ग के लोगों का ऐसा मानना भी है कि भाजपा की मौजूदा राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद बड़ा परिवर्तन आया है और सबका साथ, सबका विकास एवं सबका प्रयास फार्मूले को धरातल पर उतारने की ओर भाजपा तेजी से कदम बढ़ा रही है..! कर्पूरी ठाकुर के मान- सम्मान एवं उनके अधिकारों के लिए हमेशा संघर्ष करने वाले जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार व राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक एवं पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का नाम हमेशा से जोड़ा जाता रहा है और दोनों ही लोगों ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के निर्णय का स्वागत किया है। कर्पूरी ठाकुर ने इंजीनियरों के लिए जो सरकारी भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी उसे आज भी ऐतिहासिक कदम बताया जाता है। कर्पूरी ठाकुर की विचारधारा को भारतीय जनता पार्टी अपने आपमें कितना आत्मसात कर पाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, किन्तु कर्पूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी के बाद से एक बार फिर बिहार की सियासत गर्म हो गई है..! और बिहार समेत पूरे देश में नीतीश कुमार के पुन: एनडीए में शामिल होने की अटकलो का बाजार गर्म हो गया है..! कभी नीतीश कुमार के लिए एनडीए के सारे दरवाजे बंद होने का दावा करने वाले भाजपा नेताओ के बदले बोल बड़ी राजनीतिक फेरबदल की ओर इशारा कर रहे हैं। वहीं इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल एवं जनता दल यूनाइटेड के नेताओं की गोल-मोल बातें एवं इस मामले पर चुप्पी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है….!

लेखक : विकास त्रिवेदी राहुल
वरिष्ठ पत्रकार/ राजनीतिक विशेषज्ञ

Alok Mishra

Related Articles

Back to top button