उत्तर प्रदेशलखनऊ

हिन्दी हमारी संस्कृति व हिन्दी हमारी पहचान है

ग्लोबल टाइम्स-7
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न्यूज नेटवर्क
अनूप गौङ
जिला संवाददाता
कानपुर देहात

पुखरायां

कस्बा स्थित रामस्वरूप ग्राम उद्योग परास्नातक महाविद्यालय पुखरायां कानपुर देहात में हिंदी दिवस के उपलक्ष में हिंदी के विभिन्न कालखंड के रचनाकारों की रचना पर प्रकाश डाला गया । कार्यक्रम का शुभारंभ प्रबंध समिति के मंत्री प्रबंधक श्री प्रकाश द्विवेदी द्वारा सरस्वती माता का माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर अनेक छात्र छात्राओं ने प्राचीन भारतीय साहित्य से आधुनिक कॉल तक के रचनाकारों द्वारा रचित कविताओं का वाचन किया। संगोष्ठी के संयोजक डॉ जितेंद्र कुमार ने हिंदी साहित्य के विकास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जहां दुनिया के आज 36 से अधिक देशों में हिंदी बोली व समझी जा रही है वहीं दुनिया के अनेक विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाई जा रही है यह हम भारतवासियों के लिए गौरव का क्षण है क्योंकि हिंदी हमारी संस्कृति है ,हिंदी हमारी पहचान है।डॉ हेमेंद्र सिंह ने हिंदी के संवैधानिक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर 1949 को राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया गया किंतु दुर्भाग्य है हिंदी राजनीति का शिकार होती रही किंतु अनेक कालखंड के कवियों द्वारा हिंदी के विस्तार में पर्याप्त प्रयास किया गया आज सोशल मीडिया के माध्यम से हम जो जान ,सुन वा समझ रहे हैं हम यह तो कह सकते हैं की हिंदी का विस्तार हुआ है ,किंतु वर्तनी में कमी आई है। डॉ कमलेश कुमार सिंह ने हरवंश राय बच्चन ,रामधारी सिंह दिनकर एवं दुष्यंत कुमार की रचना पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह से कवि कल्पना के माध्यम से जीवन के सच को प्रदर्शित करता है। डॉ पर्वत सिंह ने अन्य भाषाओं की सापेक्ष हिंदी के उच्चारण व वर्तनी में समानता की बात की कहां की हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमें हम जो बोलते हैं वही लिखते हैं तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीतिँ मे भारतीय भाषाओं के साथ हिंदी को विशेष वरीयता दी गई जिससे हिंदी को समझने और अधिक आसान होगा इस अवसर पर डॉ रमणीक श्रीवास्तव, शिवनारायण यादव ,इदरीश खान आदि मौजूद रहे।

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