भक्त को भगवान से मिलाने वाली कथा ही श्रीमद् भागवत कथा है – आचार्य गोविंद मिश्रा !

ग्लोबल टाइम्स 7 न्यूज़ नेटवर्क रिपोर्ट
संजीव भदौरिया
बकेवर लखना
इटावा । भक्त को भगवान से मिलाने वाली कथा ही श्रीमद् भागवत कथा है, जिस प्रकार हिमालय से निकलने वाली गंगा का एकमात्र उद्देश्य सागर से मिलना होता है उसी प्रकार हर भक्त एवं जीव मात्र का उद्देश्य अपने प्रभु अपने परम पिता से मिलना ही होना चाहिए ।
उक्त उद्गार यमुना के तलहटी में बसे ग्राम दिलीप नगर में श्रीमद्भागवत कथा सुनाते हुए पंडित आचार्य गोविंद मिश्रा जी महाराज नैमिषारण्य सीतापुर वालों ने व्यक्त किए ।
उन्होंने भक्त पहलाद की कथा का प्रसंग वर्णित करते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति वह भले ही अपना पिता अपना भाई अपनी माता ही क्यों ना हो वह यदि भक्ति और भगवान से मिलने में बाधा बनता है तो वह त्याज्य है और उसे तत्काल उसी प्रकार ही त्याग देना चाहिए जिस प्रकार भक्त प्रह्लाद ने अपने पिता हि रना कश्यप को विभीषण ने अपने भाई को भरत ने अपनी माता को त्याग दिया था क्योंकि यह सभी उनके सगे संबंधी होने के बावजूद भी प्रभु की भक्ति में बाधक बन रहे थे उन्होंने उन्होंने सांसारिक भोगों को त्याग कर प्रभु की भक्ति में ही लीन होकर अपने जीवन को न सिर्फ धन्य बनाया बल्कि प्राणी मात्र को भी प्रभु की भक्ति में राम जाने की प्रेरणा दी क्योंकि प्राणी मात्र का एकमात्र कर्तव्य जन्म लेने के बाद अपने प्रभु में विलीन हो जाना ही होना चाहिए जिस प्रकार गंगा का एकमात्र लक्ष्य सागर में विलीन होना होता है उसी प्रकार जीव मात्र का एकमात्र लक्ष्य अपने प्रभु की भक्ति में विलीन होना ही होना चाहिए हिरण्यकश्यप ने या जानते हुए भी उनका पुत्र भगवान विष्णु का परम भक्त है उसे मारने की भरपूर कोशिश की पहाड़ों से गिराया नदी में बहाया अग्नि में जलाया किंतु जिसका रक्षक परमपिता हो उसे उसका पिता भी नहीं मार सकता उन्होंने आगे कहा कि विभीषण भी प्रभु राम के सच्चे सेवक थे भक्त थे इस कारण ही उन्होंने अपने भ्राता रावण का परित्याग कर दिया क्योंकि रावण राम का ना सिर्फ विरोधी था बल्कि उसने प्रभु श्रीराम से शत्रुता मोल ले ली थी इस कारण विभीषण ने अपने परम हितेषी भाई कुंभकरण एवं रावण का परित्याग कर दिया वही स्वयं प्रभु श्रीराम के अनुज भरत ने श्री राम को बनवास दिए जाने के कारण अपनी माता कैकई का परित्याग कर दिया या कथा हमें यह प्रेरणा देती है कि व्यक्ति को यदि अपना जीवन सफल एवं सार्थक बनाना है तो प्रभु की भक्ति में लीन होकर ही जीवन को सफल बनाया जा है। इस अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में लोग महाकालेश्वर महादेव आश्रम दिलीप नगर आकर कथा श्रवण कर भक्ति रस का पान कर रहे हैं अवसर पर परीक्षित श्री अनूप तिवारी श्रीमती ममता तिवारी महंत श्री बालकानंद गिरी जी महाराज उद्देश राजावत सुरेंद्र सिंह राजावत मोनू भदोरिया योगी रिंकू राजावत धीर सिंह राजावत सहित बराक नगला बसावन फतेहपुरा सहित क्षेत्र के सैकड़ों लोग उपस्थित थे ।