(खुशियों की दास्तां)

ग्राम कुसमानिया की आशा कार्यकर्ता श्रीमती उर्मिला परमार द्वारा गृह भेट कर नवजात के स्वास्थ्य की कर रही देखभाल
ग्लोबल टाइम्स -7 डिजीटल न्यूज नेटवर्क
राजेन्द्र श्रीवास देवास म.प्र.
आशाकार्यकर्ता जीवन के पहले 42 दिनों तक सभी नवजात शिशुओं की कर रही गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी)
नवजात की देखभाल से बच्चे के माता-पिता परिवार वाले दे रहे ग्राम की आशा दीदी को धन्यवाद किया
देवास, 14 मार्च 2023/ जिलेवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिले, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को मैदानी अमला लगातार सेवाएं दे रहा है और लोगों से उनके स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली जा रही है। जिले के विकासखण्ड कन्नौद के ग्राम कुसमानिया की आशा कार्यकर्ता श्रीमती उर्मिला परमार पति महेश परमार ने बताया कि उनके ग्राम में निवास करने वाली श्रीमती स्वाति पति राहुल के गर्भवती होने की जानकारी मिलने पर तत्काल स्वास्थ्य केन्द्र में पंजीयन करवाया समय-समय पर जांचे और चिकित्सकीय उपचार करवाया को सीहोर के अस्पताल में सुरक्षित प्रसव कराया। महिला की डिलेवरी में स्वस्थ्य दो जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें एक बालक और एक बालिका है। बच्चे को पीलिया होने से 7 दिन उपचार पश्चात छुटटी दी गई। अस्पताल से घर आने पर आशा कार्यकर्ता श्रीमती उर्मिला परमार द्वारा इनके घर गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी) जन्म के दौरा किया बच्चे स्वस्थ है।

शासन की गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी) सुविधा से मां और बच्चे के स्वास्थ्य की निरन्तर 42 दिन तक आशा द्वारा निगरानी कि जा रही है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एमपी शर्मा ने बताया कि देवास जिले में शासन के निर्देशानुसार जिले के आम नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता के निर्देशन में निरंतर उपलब्ध कराई जा रही है । शासन की योजना में गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी) होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर (एचबीएनसी) कार्यक्रम में नवजात मृत्यु दर और रुग्णता दर में तेजी से कमी लाने के लिए शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत, आशा जीवन के पहले 42 दिनों तक निर्दिष्ट कार्यक्रम के अनुसार सभी नवजात शिशुओं का दौरा करती है। इसमें जन्म के बाद 3, 7, 14, 21, 28 और 42वें दिन संस्थागत प्रसव के मामले में छह दौरे और होम डिलीवरी के मामले में प्रसव के 24 घंटे के भीतर एक अतिरिक्त दौरा शामिल है। प्री-टर्म शिशुओं, जन्म के समय कम वजन वाले या बीमार और एसएनसीयू से छुट्टी पा चुके शिशुओं के लिए अतिरिक्त दौरे आयोजित किए जा रहे। आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।