जिला संयुक्त चिकित्सालय चढ़ा उदासीनता व लापरवाही की भेंट
किसे सुनाएं कौन सुनेगा लंका में सब 52 गज के
ग्लोबल टाइम्स-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क, जिला संवाददाता राम प्रकाश शर्मा औरैया।
औरैया। जिले का सबसे व्यस्ततम अस्पताल माना जाने वाला शहर के 50 शैय्या युक्त जिला संयुक्त चिकित्सालय में उदासीनता एवं लापरवाही युक्त रवैया थमने का नाम नहीं ले रहा और यहां रोज ही नए-नए कारनामे निकलकर सामने आ रहे हैं। तमाम तरह की लापरवाही के बाद अब एक नई समस्या अस्पताल में देखने को मिल रही है। 50 शैय्या युक्त जिला अस्पताल में जिम्मेदारों की अनदेखी का आलम यह है कि बीते चार-पांच दिनों से यहां दिन में 2 बजे के बाद घंटों के हिसाब से इमरजेंसी कक्ष में चिकित्सक ढूंढे नहीं मिलते। 2 बजे के बाद ड्यूटी छोड़ने वाले चिकित्सक बिना किसी अन्य चिकित्सक के चार्ज लेने से पहले ही यहां से निकल लेते हैं। जिसके बाद यहां आने वाले मरीज व अन्य कार्यों से आए लोगों को भटकना और परेशान होना पड़ता है। पिछले तीन-चार दिन से यहां यह स्थिति बनी हुई है कि इमरजेंसी मरीजों को त्वरित इलाज एवं कोतवाली से आए पुलिसकर्मियों को कैदियों एवं पीड़ितों के डॉक्टरी परीक्षण के लिए जद्दोजहद से जूझना पड़ता है। शहर की तमाम संभ्रांत, वरिष्ठ एवं जागरूक लोग कहने लगे की किसे सुनाए कौन सुनेगा लंका में सब 52 गज के मरीजों एवं तीमारदारों से लेकर हर कोई कह रहा है की ऐसी बदइंतजामी अस्पताल में कभी नहीं रही। जिम्मेदार ही जिम्मेदारी नहीं समझे तो क्या किया जाए?
आपको बताते चलें कि इन 4-5 दिनों में अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष करीब एक दर्जन इस तरह के मामले आए जब कोतवाली से आए पुलिसकर्मियों को चिकित्सक के अभाव में बिना डॉक्टरी कराए ही लौटना पड़ा, तथा बाद में अधिकारियों तक बात पहुंचने पर कैदियों एवं पीड़ितों की डॉक्टरी हो सकी। इतना ही नहीं इमरजेंसी मरीजों को भी इलाज के लिए कोई डॉक्टर ना होने पर खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। काफी देर के बाद जब मीडिया पहुंची तब जाकर आनन-फानन में किसी तरह डॉक्टरों को फोन कर बुलाया गया और तब ही मरीजों को इलाज मिल सका। गनीमत यह रही की सभी मामलों में कोई भी मरीज हताहत नहीं हुआ। नहीं तो अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते कई मरीजों की जान पर आ बन पड़ सकती थी। मंगलवार को भी अस्पताल में एक ऐसा ही मामला देखने को मिला, जब मारपीट कर नाबालिग से दुष्कर्म करने को एक आरोपी को कोर्ट में पेश करने से पहले पुलिस उसकी मेडिकल काउंसलिंग व डीएनए के लिए अस्पताल लेकर अाई। करीब 12:15 पर पुलिस उसे लेकर अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में पहुंची, जहां उपस्थित चिकित्सक ने पुलिस से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया की यह काम 2 बजे के बाद आने वाले चिकित्सक द्वारा किया जाएगा। कमोबेश साथ में दुष्कर्म का आरोपी लिए पुलिस को घंटों का इंतजार करना पड़ा। 2 बजते ही मंगलवार की दोपहर इमरजेंसी रूम में उपस्थित चिकित्सक बिना किसी अन्य चिकित्सक के आए बिना वहां से चलते बने। उसके बाद भी चिकित्सक ना आने पर जब आरोपी लेकर आए एक दरोगा जी को अपनी मुश्किलें बढ़ती दिखाई दी तो उन्होंने अपने आला पुलिस अधिकारियों, जिले के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों समेत मुख्य चिकित्सा अधिकारी फोन कर के अपनी परेशानी बताई। जिसके बाद ड्यूटी पर आए चिकित्सक ने पुलिस के साथ पूर्व में ड्यूटी कर रहे चिकित्सक द्वारा किए गए लापरवाह पूर्ण रवैया एवं लापरवाह रवैया के कारण कोर्ट में पेशी के लिए लेट हो रहे आरोपी की करीब 3:30 मेडिकल काउंसलिंग की।तब जाकर पुलिस ने दुष्कर्म के आरोपी को कोर्ट में पेश किया और राहत की सांस ली। वही उपनिरीक्षक ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को एक पत्र भी दिया जिसने उन्होंने बताया कि वह 12:15 पर अस्पताल आ गए थे लेकिन बातचीत वह करीब 2 घंटे भटकते रहे।
इधर लगातार इस तरह की मामलों के चलते खुद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मामले को संज्ञान में लिया और अस्पताल पहुंच कर निरीक्षण भी किया। अगर बाद में ड्यूटी पर आए चिकित्सक व 2 बजे के बाद महिला वार्ड में ड्यूटी पर तैनात एक महिला चिकित्सक ने तत्परता ना दिखाई होती तो शायद दुष्कर्म के आरोपी करीब एक से दो घंटे तक चलने वाली काउंसलिंग व डीएनए सैंपल की कार्यवाही ना हो पाती और पुलिस को उसे कोर्ट में पेश करने के लिए और अधिक मशक्कत करनी पड़ती। फिलहाल शहर का 50 शैय्या युक्त जिला अस्पताल बद इंतजामी के चलते दुर्दशा का शिकार है सभी जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ एक दूसरे की गलती बता कर पल्ला झाड़ते हुए इतिश्री कर लेते हैं। वही लापरवाह चिकित्सकों व कर्मचारियों को भी कार्यवाही ना होने से खुली छूट मिल रही है और लोग कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि जब कोई कार्यवाही होनी नहीं है तो चिंता क्यों करें। अब देखना यह है कि अधिकारियों की चेतना कब जागेगी और वह कब इस अस्पताल पर रहम दृष्टि दिखाते हुए यहां बद इंतजामों को दुरुस्त करने का प्रयास करेंगे।