भक्ति का सशक्त अंग है सहनशीलता __निरंकारी महात्मा रामबाबू पाल

ग्लोबल टाइम्स-7
डिजिटल
न्यूज नेटवर्क
अनूप गौङ
पुखरायॉ
कानपुर देहात
संत निरंकारी मिशन के महात्मा रामबाबू पाल ने कहा कि भक्ति का सशक्त अंग है सहनशीलता इसी के बल पर भक्त प्रहलाद भक्ति के सिरमौर बन गए सब कुछ निराकार को सौंप दिया संत निरंकारी मिशन ब्रह्म ज्ञान के द्वारा भक्ति में जीवन जीने की कला सिखा रहा है l
महात्मा रामबाबू पाल गुरुवार को भोगनीपुर में आयोजित निरंकारी आध्यात्मिक सत्संग को संबोधित कर रहे थे lउन्होंने कहा कि भक्ति ही जीवन का सार है पवित्र गीता का अंतिम सिद्धांत भक्ति है सतगुरु हमारे प्रज्ञा अपनी अलौकिक शक्ति से खोल देते हैं l और परमात्मा से हमारी आत्मा को रूबरू करा देते हैं l आत्मरस पा लेने के बाद संसार का रस फीका लगने लगता है । परमात्मा हमसे भक्ति चाहते हैं प्रभु प्रसन्न होते हैं । जब भक्त इसके प्रेम में डूब कर भक्ति करता है । निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा भक्ति की परिभाषा करते हुए कहते हैं कि परमात्मा को देखकर जानकर भक्ति करना ही सार्थक है । निरंकारी मिशन का उद्देश्य यही है की भक्ति के मार्ग पर चलते हुए परमपिता परमात्मा से नाता जोड़ लें और आत्मा को परमात्मा से परिचय करा दें । ताकि बार-बार का जन्म मृत्यु का चक्कर खत्म हो जाए । निरंकारी मिशन भी एक तू की भावना पर चलकर दीवार रहित एक ऐसे विश्व का निर्माण निरंकारी मिशन कर रहा है जहां पर कोई दीवाल भेदभाव ना हो उन्होंने इस निराकार परम ब्रह्म परमात्मा का परिचय करवाया जब पूरण सद्गुरु जीवन में आ जाता है तो इस निराकार की प्राप्त हो जाती है। परमपिता परमात्मा का ज्ञान हो जाता है और आत्मा परमात्मा का मिलन हो जाता है निरंकारी आध्यात्मिक सत्संग में मुख्य रूप से।