उत्तर प्रदेशलखनऊ

ईमानदारी के कुछ खट्टे विचार

दो ईमानदारों की मंजिल एक हो सकती है, लेकिन रास्ता कभी एक नहीं हो सकता

ग्लोबल टाइम्स-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क, जिला संवाददाता राम प्रकाश शर्मा औरैया।

औरैया। अपने देश का यह सौभाग्य कहा जाएगा कि ईमानदारी का कोई महत्व नहीं है यह मुफ्त में मिलती है ना। बेईमान लोगों को भी ईमानदारी बुरी नहीं लगती, लेकिन इतनी अच्छी भी नहीं लगती कि उसे अपना लें। बेईमानी और ईमानदारी के बीच वही रिश्ता होता है जो शेर और शिकार के बीच होता है। बेईमानी हमेशा ईमानदार पर टूट पड़ने को तैयार रहती है। वैसे तो बड़ा बेईमान झूठे बेईमान को खा जाता है, लेकिन बड़े बेईमान की हार हो जाने के कारण झूठा बेईमान ईमानदार नहीं हो जाता। ईमानदारी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा होता है दूसरा ही ईमानदार। दो ईमानदार कभी साथ मिलकर काम नहीं कर सकते।
दो ईमानदारों की मंजिल एक हो सकती है, लेकिन उनका रास्ता कभी एक नहीं हो सकता। इसीलिए ईमानदारी कभी ऐसी पगडंडी नहीं बना पाती है जिस पर दूसरे भी चलें। दूसरी ओर बेईमानी जिस पर दूसरे भी चलें, दूसरी ओर बेईमानी राजमार्ग के बाद राजमार्ग बनाती चली जाती है। ईमानदारी बहुत डरावनी चीज होती है। बेईमान उससे बहुत डरते हैं। ईमानदार के घर वाले भी डरते हैं, क्योंकि उनके घर में जितनी भी परेशानियां होती हैं इसी के कारण होती हैं। जैसे ही बच्चे भले बुरे में फर्क करने कि समझ आ जाती है, बेईमान आदमी बच्चे को ईमानदारी का चित्र बनाकर दिखाता है। इसे ठीक से पहचान लें। यह ईमानदारी है इससे सदा दूर ही रहना। अगर ईमानदारी सामने से आती दिखाई दे तो रास्ता बदल लेना। उसे अपना रास्ता कभी ना काटने की देना। यदि जिंदगी में कामयाब होना है तो यह नसीहत हमेशा याद रखना। ईमानदार कभी बेवकूफ नहीं होता और बेईमान कभी बुद्धिमान नहीं होता, बेईमान चालाक हो सकता है। चालाकी बुद्धिमानी नहीं हुआ करती। बेईमानी को बर्दाश्त करना अलग बात है और खुद बेईमान होना अलग बात। ईमानदारी में ड्रामा नहीं होता, लेकिन उसमें हिम्मत बहुत होती है। ईमानदारी में बस एक कमजोरी होती है , वह चाहती है कि बेईमान के साथ भी इंसाफ हो। ईमानदारी की इस कमजोरी का फायदा बेईमानी उठाती है। ईमानदारी सुविधा नहीं चरित्र है। अगर वह इंसाफ ना करें तो ईमानदारी-ईमानदारी नहीं रहती। ईमानदार आदमी जानता है कि उसे ईमानदार बनाकर ईश्वर ने कोई गलती नहीं की है। बेईमान आदमी तो कभी ऐसा सोच भी नहीं सकता। अपने ईमानदार होने का दोष ईमानदार आदमी किसी दूसरे को नहीं देता। बेईमानों के लिए तो सब गलतियां दूसरों की ही होती हैं। इस दुनिया में बेईमानी कितनी हो, कितनी ही बढ़ जाए, लेकिन ईमानदारी कभी खत्म नहीं होगी, क्योंकि एक बेईमान भी दूसरे से बेईमानी की उम्मीद करता है। यह बड़ी विडंबना है कि बेईमान को बेईमानी पसंद नहीं आती है। लोग समझते हैं कि बेईमानों के पास ईमान नहीं होता, बहुत होता है इतना होता है कि दिन-रात बेचते हैं फिर भी खत्म नहीं होता। ईमानदार आदमी को यह कहने में कभी शर्म नहीं आती कि वह ईमानदार है। बेईमान को यह कहने में बहुत शर्म आती है कि वह बेईमान है। बेईमान आदमी भी अपने आपको ईमानदार ही कहता है। यह ईमानदारी की सबसे बड़ी ताकत है।

Global Times 7

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