उत्तर प्रदेश

आंशिक खराबी व संचालन कंपनी की उपेक्षा से कबाड़ हो रही एंबुलेंस गाड़ियां

जिले के कई अस्पतालों में कबाड़ के रूप में खड़ी है एंबुलेंस गाड़ियां

राकेश कुमार मिश्र
उपजिला संवाददाता
17 मार्च 2024
# शिवली
कानपुर देहात, नागरिकों को सुलभ स्वास्थ सुविधाओं को प्रदान करने के उद्देश्य से करोड़ों रुपए की लागत से लगभग दस वर्ष पूर्व खरीदी गई एंबुलेंस की गाड़ियां मामूली खराबी के चलते मरम्मत के अभाव में कबाड़ हो रही हैं किंतु एंबुलेंस के संचालन का कार्य देख रही जी.वी. के.कंपनी प्रशासन के अधिकारियों की उपेक्षा से करोड़ों रुपयों से खरीदी गई एंबुलेंस की गाड़ियां अस्पतालों में कबाड़ के ढेर पर शोपीस बनी खड़ी हैं!

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सरकार बनते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वर्ष 2012 में ग्रामीण अंचल के लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने उद्देश्य से एंबुलेंस गाड़ियों को खरीद कर संचालित कराया था और समाजवादी एंबुलेंस का नाम देकर जनता को समर्पित की थी, एंबुलेंस सेवा शुरू होने से लोगों को काफी फायदा हुआ था किंतु एंबुलेंस सेवा के संचालन का काम देख रही जी.वी.के. कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही से एंबुलेंस गाड़ियों की समय समय पर मरम्मत न कराए जाने के कारण चार से पांच लाख किलोमीटर चलने के बाद गाड़ियां खराब होने लगीं , किसी में टायर की कमी है तो किसी की सर्विसिंग होनी है,संचालन कंपनी द्वारा इन छोटी-छोटी कमियों के सुधार नहीं कराने से लाखों रुपए की लागत से खरीदी गईं एम्बुलेंस गाड़ियां कबाड़ होते नजर आ रही है, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मैथा परिसर में ऐसी तीन एंबुलेंस की गाड़ियां खड़ी हैं जिनमें मामूली खराबी ही है, जानकार लोगों को कहना है की गाड़ियों के संचालन में महज दस से पंद्रह हजार रुपए का खर्च कर देने से कबाड़ हो रहीं एंबुलेंस गाड़ियां फिर से सड़क पर दौड़ने लगेंगी किंतु विभागीय अधिकारी कमीशन खोरी के चक्कर में मामूली खराबी वाली गाड़ियों की मरम्मत कराने के बजाए लाखों रुपए की नई गाड़ियां खरीदने में जुटे हैं जिससे व्यापक पैमाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है वही पुरानी खरीदी गई एम्बुलेंस गाड़ियां खड़े-खड़े कबाड़ हो रही है, इस बाबत प्रभारी चिकित्सा अधिकारी मैथा डॉक्टर सिद्धार्थ पाठक ने बताया कि एंबुलेंस कंपनी के संचालन का काम सरकार द्वारा जी.वी.के.कंपनी को दिया गया था मरम्मत करने का कार्य उसी के द्वारा कराया जाना है,स्वास्थ्य विभाग के पास इसके लिए कोई अतिरिक्त बजट नहीं है |

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