उत्तर प्रदेशलखनऊ

औरैया जिला पूर्ति कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर

सक्रिय है दलाल, सम्बन्धित अधिकारी बांधे बैठे आंखों पर गान्धारी पट्टी

जीटी-70017, राम प्रकाश शर्मा ब्यूरोचीफ औरैया।
05 नवंबर 2023

#औरैया।

जिला पूर्ति कार्यालय औरैया में इन दिनों भ्रष्टाचार अपने चरम पर हैं। बिना पैसे के विभाग में कोई कार्य होना तो दूर जानकारी भी नहीं मिलती है। जब से जिला पूर्ति अधिकारी देवमणि मिश्रा ने जिले का कार्यभार संभाला है तब से आपूर्ति कार्यालय की स्थिति बद से बदतर हो गयी है। विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत लेकर जब कोई जन प्रतिनिधि, समाजसेवी, या पत्रकार जाता है तो जिला पूर्ति अधिकारी श्री मिश्रा उससे अभद्र व्यवहार करते हैं तथा शिकायतकर्ता पर ही दोषारोपण करते हुये उसको धमकाते हैं। उन्हें अपने विरूद्व की जाने वाली किसी शिकायत की कोई परवाह भी नहीं है। कहते है कि जितनी चाहे शिकायत कर लो, अंत में वह मेरे पास ही आयेगी, जिसको मैं जैसा चाहूंगा वैसा निस्तारण करूंगा। इस लिये मेरे खिलाफ कहीं भी शिकायत कर लो, मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा। जिला पूर्ति कार्यालय का प्रोटोकॉल तो जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक कार्यालय से अधिक सख्त है।
आम आदमी तो कार्यालय में पहुँच ही नहीं सकता है। कार्यालय के चप्पे-चप्पे पर दलालों व भ्रष्टाचारियों का पहरा रहता है जो किसी को भी कार्यालय में प्रवेश नहीं करने देता है। जिला पूर्ति अधिकारी देवमणि मिश्रा, जन प्रतिनिधि, सामाज सेवी व पत्रकारों के प्रति किये गये अशिष्ट और अभद्र व्यवहार के कारण आये दिन-चर्चा में बने रहते हैं। उनके नाक के नीचे फल-फूल रहे भ्रष्टाचार को देखकर यह कहना कोई अतिश्योक्ति न होगा कि ‘नाम देव, काम दानव के’। नगर के प्रमुख समाज सेवी, पत्रकार, स्तम्भ लेखक बृजेश बन्धु ने मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ को विभाग में हो रही धॉधली के सम्बन्ध में पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने बताया है कि शासन द्वारा गरीब व्यक्तियों के लिए चलायी जा रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को जनपद औरैया में बैठे सरकार के नुमाइन्दे विभिन्न प्रकार की धॉधली कर सरकार के मंसूबों पर पानी फेरने के साथ-साथ आम जनमानस का जमकर शोषण कर रहे है। इसमें प्रमुख रूप से राशन कार्ड सूची में पात्रों के नाम हटाकर अपात्रों के नाम जोड़ने जैसे क्रिया-कलाप शामिल है। यह तो सर्वविदित है कि बिना किसी निजी स्वार्थ के तो भारी संख्या में अपात्रों के नाम राशन कार्ड सूची में शामिल नहीं किये गये होंगे। पात्र गृहस्थी/अन्त्योदय राशन कार्ड माह जनवरी 2023 से जो भी राशन कार्ड आनलाइन किये गये व अब पात्र गृहस्थी/अन्त्योदय राशन कार्ड की सूची में प्रदर्शित हो रहे है, उनकी जॉच करायी जायें तो उसमें हुयी धॉधली भी उजागर हो जायेगी।
सूत्रों की माने तो इनमें से जो भी राशन कार्ड बनें वह किसी भी पात्र व्यक्तियों के नहीं है अपितु जो भी राशन कार्ड बने है वह गरीबों के राशन कार्ड काट कर अपात्र व्यक्तियों के कार्ड बनाए जा रहे है जिससे पात्र गृहस्थी राशन कार्ड हेतु रू 500/- से लेकर 1000/ तक वसूले जाते है, जबकि अन्त्योदय के लिए आयुष्मान कार्ड का प्रलोभन देकर यही धनराशि 2500/- से 8000/- तक ली गई हैं। यहॉ एक प्रकार से सिंडीकेट सक्रिय है, जिसमें विभाग में कार्यरत सप्लाई इन्सपेक्टर के साथ-साथ कुछ दलाल प्रवृत्ति के लोग शामिल है। सूत्र बताते है कि विभाग में कार्यरत रोबिन बाबू द्वारा नये राशन कार्ड के लिए या संशोधन के लिए जो भी राशन कार्ड रजिस्टर में दर्ज किये जाते है उनमें से कोई नहीं बनाया जाता है, बाद में जब उपभोक्ता 15 दिन बाद ऑफिस में जानकारी के लिए आता है, तब उससे कहा जाता है कि आप का आनलाइन डेटा लखनऊ से कैन्सिल हो गया है आप पुनः आनलाइन कराइये। इस प्रकार उपभोक्ता चाहे जितनी बार आनलाइन कराये उसका राशन कार्ड नहीं बनता है। जब उपभोक्ता द्वारा सुविधा शुल्क दी जाती है तब जाकर उसका राशन कार्ड बनता है। विभाग के कुछ कर्मचारी सीधे-सीधे जन सेवा केन्द्रों से सम्पर्क में है उनके द्वारा सुविधा शुल्क वसूली जाती है, इस्पेक्टर लोग ग्रामीण राशन डीलर से सम्पर्क में हैं उनके द्वारा पैसे लेकर राशन कार्ड बनाते है। सप्लाई ऑफिस राात्रि 10 बजे या 11 बजे रात्रि तक खुलता है, छुट्टियों में भी खुलता है। जब से जिला पूर्ति अधिकारी देवमणि मिश्रा इस जनपद में आएं है तब से भ्रष्टाचार का बोलबाला अपने चरम पर है। राशन कार्ड की दलाली सप्लाई ऑफिस के पास की दुकान पर बैठ कर की जाती है। शहरी क्षेत्रों के इन्स्पेक्टर कोई राशन कार्ड नहीं बनाते और न ही किसी की कुछ सुनते है। वह सचिन आदि दलालों के नाम बताकर अपनी बला टाल देते है।
घटतौली का भी खेला विभाग में अपने चरम पर है। राशन दुकानदारों को जो खाद्यान्न ठेकेदारों से प्राप्त होता है वह पूरा नहीं मिलता है, उनको दिये जाने वाले खाद्यान्न में नमी की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण वितरण तक आते-आते वह सूख जाता है। बोरियों से खराब खाद्यान्न निकलता है, जिसे उचित दर विक्रेता वितरण करने को मजबूर होता है। नाम न छापने की शर्त में कई कोटाडीलरों ने बताया कि सप्लाई ऑफिस के उच्चाधिकारी ठेकेदार से मासिक बधौरी बॉधे हुये है, जिस कारण वह लोग ठेकेदार की शिकायत या तो सुनते ही नहीं है या फिर कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं देते है। कई बार तो उल्टा कोटेदार को ही जबरदस्ती धमकाकर वही खराब खाद्यान्न उतरवाने को विवश करते है, तथा दुकान जॉच की धमकी देते है। शिकायतकर्ता बृजेश बन्धु ने बताया कि पूर्ति विभाग की धॉधली की शिकायत जब उनके द्वारा की गई तो उसके निस्तारण के लिए जिला पूर्ति अधिकारी को वह शिकायत भेजी गयी। जिस पर जिला पूर्ति अधिकारी देवमाण मिश्रा ने फर्जी व भ्रामक तथ्यों के आधार पर शासन व प्रशासन को गुमराह कर शिकायतकर्ता को ही आरोपित करते हुये शिकायत निस्तारित कर दी। इतना ही नहीं शिकायत को निषेधित विषय का बताते हुये शिकायत का अन्तिम निस्तारण कर शिकायतकर्ता को फीडबैक देने से रोकते हुये शासन व प्रशासन को गुमराह किया जा रहा है। इतना तो तय है कि भाजपा सरकार में जनता को राहत देने के लिए चलायी जा रही प्रधानमंत्री निःशुल्क अन्न योजना औरैया जनपद में अधिकारियों के लिए कमाऊ-खाऊ योजना बनी हुयी है और जिला पूर्ति विभाग इस योजना में जमकर धॉधली कर रहा है, जब कि गरीब जनता अपने हक से मरहूम है अर्थात् सरकार द्वारा गरीबों को दिये जाने वाले खाद्यान्न का एक बड़ा हिस्सा अधिकारियों व दलालों की भेंट चढ़ जाता है। हॉलाकि जिलाधिकारी औरैया ने पूरे मामले के संज्ञान में आने के बाद मुख्य विकास अधिकारी, औरैया को जॉच के लिए नियुक्त किया है। अब देखना यह होगा कि इस जॉच से कितना सच उजागर हो पाता है और गरीबों के हिस्से का राशन क्या वाकई गरीबों को मिलना प्रारम्भ होगा?

Global Times 7

Related Articles

Back to top button