उत्तर प्रदेशलखनऊ

महिला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी…

महिला सशक्तिकरण हो रहा छलावा साबित

जीटी-70017, राम प्रकाश शर्मा ब्यूरोचीफ औरैया।
14 मई 2023

#औरैया।

मई माह मातृ दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। वहीं केंद्र व प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती चली आ रही है, लेकिन वास्तविकता बहुत ही हटकर है। गरीब महिलाओं को अपना और अपने बच्चों का उदर भरण करने के लिए कितनी विसंगतियों से गुजारना पड़ता है। इसका एहसास शासन-प्रशासन को नहीं होता है। यह एक विडंबना ही है की आज भी कितनी महिलाएं एवं नाबालिक व मासूम बच्चे सड़कों पर भीख मांग कर दो जून की रोटी कमाने के लिए मजबूर हो रहे है। वही नाबालिक मजदूरी करने को भी विवश हैं। आखिर पेट तो भरना है, चाहे भीख मांगना पड़े अथवा कबाड़ा बिनना पड़े, कुछ तो करना ही होता है। कुछ नाबालिक बच्चों को मजदूरी करते भी देखा जा सकता है। गरीब, लाचार व मजलूम महिलाओं एवं बच्चों की कोई सुनने वाला समझ में नहीं आता है। शासन और प्रशासन महिला सशक्तिकरण के नाम पर जो योजनाएं चला रहा है, वह हवा हवाई ही साबित हो रही है। गरीबों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। क्योंकि वह ना तो अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा पा रहे हैं, और ना ही अच्छे संस्कार दे पा रहे हैं। आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन? ऐसा ही नजारा शहर के एक मुख्य मार्ग पर रविवार को देखने को मिला। इस नजारे को कैमरे में कैद कर लिया गया। जिसको लेकर हर किसी का हृदय विदीर्ण हो रहा था। यह नजारा दिल दहलाने वाला था।
आज हमारे देश मे मई माह का दूसरा रविवार जो कि मातृ दिवस के रूप मे मनाया जा रहा है। वहीं ऐसे मे रविवार को शहर के एक मार्ग पर एक जीवित तसवीर ऐसी देखने को मिली जो इंसान की आत्मा को भी झकझोर के रख देने वाली हैं। जैसा की तस्वीरों मे साफ देखा जा सकता है। एक मां अपने तीन मासूम बच्चों को तपती धूप मे रिक्से पर बैठाकर शहर के कोने-कोने से कबाड़ा बीनकर अपना और अपने बच्चो का जीवन यापन कर रही है, और जिन बच्चो के पढ़ने लिखने और खेलने के दिन हैं, वह बच्चे अपनी मां के साथ कबाड़े के रिक्से पर अपना बचपन खोने को मजबूर हैं।आखिर क्या कारण है कि औरैया प्रशासन का ध्यान इस ओर कभी क्यों नही जाता है? शहर के संभ्रांत, वरिष्ठ, गणमान्य एवं जागरूक लोगों का कहना है कि इस प्रकार का नजारा देखकर यह प्रतीत होता है कि महिला सशक्तिकरण की बात हवा-हवाई है। भारत का संविधान एक है इसके बावजूद संविधान को धता बताकर गरीब-अमीर की खाई बनाकर कानून के साथ भी भेदभाव कर खिलवाड़ किया जाता है। गरीबों के साथ इंसाफ हो, गरीब महिलाओं एवं उनके बच्चों को सही जीवनधारा में लाना ही सच्चा मातृत्व दिवस होगा।

Global Times 7

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