जिले के जिम्मेदार महानुभावो के लिए आवश्यक सूचना !

ग्लोबल टाइम्स 7 न्यूज नेटवर्क
लखनऊ उत्तर प्रदेश
पत्रकारिता को भ्रामक और गलत बताने वाले कभी सोचा है कि जब एक व्यक्ति आपके पास फरियाद लेकर आता हैं ,तो उसको न्याय की कितनी उम्मीद होती हैं, लेकिन गुरुर /अभिमान के चलते उसको निराशा मिलती हैं, महोत्सव के समय जिले के अधिकारी दिन रात जागकर कार्य करते रहे, और 14 जनवरी को पीड़ित जिलाधिकारी के पास रोता विलखता आया था, और जिलाधिकारी आवास से कार्यालय तक न आ सकी, कारण कुछ भी हो लेकिन पीड़ित के जाने के बाद मुकदमा लिखा जाना क्या दर्शाता है, किसके निर्देश पर मुकदमा लिखा गया, क्या जिलाधिकारी को बिना अवगत कराएं, मुकदमा लिखा गया, अगर ऐसा था तो जिलाधिकारी ने कार्यवाही क्यो नही की, बहुत सवाल है, मीडिया तो अभी बहुत मामलों पर चुप है, सायद इसलिए की आपसी भाईचारा सौहार्द बना रहे प्रशासन अपना कार्य कर सके !
मीडिया आपके हिसाब से चले और चाटुकारिता करे तो सब अच्छा है, और जरा सी सच्चाई दिखाए तो गलत, और भ्रामक, वाह रे प्रशासन, सिकन्दरा तहसील के पिण्डारथु में खेल का मैदान अधिकारियों ने कब्जा करवा दिया, बेचारे ग्रामीणो ने सैकड़ो शिकायते की लेकिन कार्यवाही नही, वही हाईकोर्ट ने खेल के मैदान को खाली कराने का आदेश दिया लेकिन आदेश के बाद भी खेल का मैदान आज तक खाली नही कराया गया, बल्कि मैदान में लगे उपकरण आदि चोरी करवा दिए गए, प्रकरण मौजूदा डीएम के संज्ञान में भी था,
वही मड़ौली कांड पर प्रशासन की जल्दबाजी क्या दर्शाती हैं , ये दोनों प्रकरण को समझ ले, ऐसे तमाम प्रकरण है,
लेकिन कानपुर देहात के कुछ चाटुकार बंधुओं के ज्ञान ने जिलाधिकारी को गुमराह कर दिया शायद उसी का नतीजा है मड़ौली कांड,
घमंड और अभिमान व्यक्ति को अंधा कर देता है, अनुभव किसी भी धर्म,जाति, समुदाय के व्यक्ति से मिल सकता,
जिले अधिकारियों से किसी पत्रकार की कोई दुश्मनी नही है, बस फर्क इतना है कि पत्रकार पीड़ित के दर्द को समझता है, आप अधिकारी बने रहते है,
आज भी अपनी गलतियों को खोजने की जगह मीडिया को गलत बताया जा रहा है, यही सोच डीएम साहब सच्चाई से दूर किये हैं,
उस पीड़ित परिवार के साथ जो हुआ क्या कोई भी उसे वापस कर सकता हैं,