अग्निवीर दौड़ में पास युवक का जाति प्रमाण पत्र न बन पाने से उसका सपना हुआ चकनाचूर

ग्लोबल टाइम्स 7
न्यूज़ नेटवर्क टीम
रिजवान खान
रसूलाबाद कानपुर देहात जाति प्रमाण पत्र वह प्रमाणपत्र है जो किसी व्यक्ति विशेष की जाति का प्रमाण पत्र होता है यह प्रमाण पत्र न होने का दर्द पूर्वी पाकिस्तान से रसूलाबाद क्षेत्र में आये उन हिन्दू परिवारों से पूछिए जिनके 40 वर्षो बाद भी रसूलाबाद तहसील से जाति प्रमाण पत्र नही बन पा रहे है इन विस्थापित परिवारों की गुजरी दांस्ता कोई सुन ले तो वह बिना आंसू बहाय रह नही सकता रसूलाबाद तहसील में एक मां द्वारा अग्निवीर भर्ती की दौड़ में पास अपने पुत्र का जाति प्रमाण पत्र न बन पाने के कारण किया जा रहा करुंनक्रन्दन देख लोगो की भी आंखे बरबस भर आईं
देश की तत्कालीन प्रधान मंत्री स्व इंदिरागांधी ने1982 में पूर्वी पाकिस्तान अब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों से दुखी होकर लगभग 250 परिवारों को रसूलाबाद के भैंसाया ग्राम में भूमि व आवास देकर बसाया था ।धीरे धीरे यहाँ 750 परिवार हो गए। इसी तरह 16 अप्रैल 22 को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 63 हिन्दू परिवारों को मेरठ के हस्तिनापुर से भेजकर यहां बसाया । कुल मिलाकर 813 परिवार वर्तमान समय मे रह रहे है ।दुर्भाग्य की बात यह है कि सरकारों ने इन्हे बसाया लेकिन आज तक इन लोगों के जाति प्रमाणपत्र बनाने के कोई स्पष्ट निर्देश नही दिए जिससे इन विस्थापित परिवारों को आरक्षण के तहत कोई भी सरकारी नौकरी नही मिल पा रही है 1982 में अपने माता पिता के साथ रसूलाबाद के महेन्द्र नगर आई सुमित्रा देवी ने सम्पन्न घरानों में झाड़ू पोंछा लगाने के साथ मेहनत मजदूरी कर अपने पुत्र अजीत सरकार को पढ़ाकर यह सपना देखा कि इसे नौकरी मिलने पर हमारी गरीबी दूर होगी अग्निवीर सेना की भर्ती की जटिल दौड़ की बाधा भी अजीत ने पार कर दी तो मां खुशी के मारे फूले नही समा रही थी कि अब बेटे को सेना में नौकरी मिल जाएगी ।लेकिन उसे यह नही पता था कि विस्थापित होने के कारण जाति प्रमाण पत्र न होने व न बन पाने से उसके अरमानों पर पानी फिर जाएगा दुखी मां ने कानपुर नगर से अपने ही सजातीय विस्थापित का बना जाति प्रमाण पत्र की छाया प्रति तहसीलदार रसूलाबाद को दिखाई फिर भी तहसीलदार मानने को तैयार नही हुए । यह विस्थापित परिवार लगभग 40 वर्षो से ग्राम भैंसाया के महेंद्र नगर बंगाली मोहाल में रह रहे है ।इनका जाति प्रमाण पत्र न बन पाने से शिक्षित बच्चे मजबूरी में अपने भाग्य को कोस मजदूरी करने को विवश हो रहे है ।विस्थापितों का कहना है कि प्रदेश व केंद्र सरकारों ने मेरी जीवन रक्षा तो की लेकिन जाति प्रमाण पत्र जारी न होने से मेरे बच्चों का भविष्य अंधकार में ही है ।वैसे इन विस्थापितों में भी हर जाति के लोग है लेकिन सरकार ने इनकी जाति के निर्धारण की कोई आधिकारिक घोषणा नही की जिससे इन विस्थापितों में घोर निराशा व्याप्त है इस बाबत रसूलाबाद के तहसीलदार राज कुमार चौधरी से वार्ता की गई कि उनका कहना था कि शासन से कोई गाइडलाइन न होने के चलते इन विस्थापितों के जाति प्रमाण पत्र नही बन पा रहे है और शासन स्तर से ही कोई निर्णय होने पर ही इस समस्या का हल हो सकता है ।