सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न होने के साथ ही दसहरा महोत्सव का हुआ समापन !

*गुरु और प्रभु सत्ता के बीच हुआ लक्ष्मण परशुराम का तार्किक संवाद*
*ग्लोबल टाइम्स-7 न्यूज़ नेटवर्क 0006*
*राकेश कुमार मिश्रा*
*उपजिला संवाददाता*
*14 अक्टूबर 2024*
शिवली, कानपुर देहात |शिवली कस्बे में आयोजित हुआ दसहरा महोत्सव सांस्कृतिक कार्यक्रम के संपन्न होने के साथ ही समाप्त हो गया | दोनों ही समितियों द्वारा अपने अनुसार अलग अलग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया |आयोजित रामलीला कार्यक्रम में हुए तार्किक संवाद के अन्तर्गत सेवा भाव में सेवा का अर्थ अनमोल है, जो सेवक सेवा करते समय अपने स्वामी के समक्ष अपना संपूर्ण समर्पण कर देता है सही मायने सेवक वही है, जो अपनी सभी आशाओं को त्याग कर स्वामी के चरणों में दासता स्वीकार करता है सेवक का चरित्र और त्याग महान है इसीलिए वह गुरु और ईस दोनों सत्ताओं का कृपा पात्र होता है उक्त संदेश विजयादशमी के पर्व पर शिवली के लंका मैदान में आयोजित धनुष भंग कार्यक्रम लक्ष्मण परशुराम संवाद के दौरान श्रोताओं को सुनने को मिली इसे सुनकर उपस्थित दर्शक गड़ भाव विभोर हो उठे | असत्य पर सत्य अधर्म पर धर्म के विजय पर्व विजयादशमी के अवसर पर शिवली कस्बा सहित क्षेत्र के बागपुर, मैथा, रंजीतपुर, औनाहां आदि गांव में दशहरा महोत्सव कार्यक्रमों का आयोजन धूमधाम से किया गया | जगह जगह दशहरा पर्व पर अधर्म के प्रतीक रावण का पुतला दहन किया गया | शिवली के साकेत धाम परिसर समेत लंका मैदान में धनुष भंग का आयोजन किया गया, लंका मैदान में आयोजित धनुष लीला कार्यक्रम में लक्ष्मण और परशुराम के बीच तार्किक एवम विद्वता पूर्ण संवाद हुआ इसमें परशुराम ने गुरु सत्ता एवम लक्ष्मण ने प्रभुसत्ता को बलवती बताते हुए तीखा संवाद किया इस दौरान दोनों कलाकारों के द्वारा सेवा को महत्व दिया गया, दोनों ही कलाकारों ने सेवा के रूप में अपने आप को गुरु और प्रभु के लिए समर्पण करने की बात कही, उन्होंने कहा कि सेवक को अपने स्वामी के प्रति पूर्ण रूप से आत्मसमर्पित रहना चाहिए इसलिए अपनी आशाओं का परित्याग कर जो अपने स्वामी की दासता स्वीकार करता है वह प्रभु का प्रिय हो जाता है और उसे कभी भी किसी कष्ट की अनुभूति नहीं होती है, बल्कि ईश्वर का अनुगामी बंनकर मोक्ष को प्राप्त करता है | इसके साथ धनुष लीला में लक्ष्मण और परशुराम के बीच करीब पांच घंटे से अधिक समय तक संवाद चला वहीं राजा जनक का कारूणिक विलाप व रावण बाणासुर का रजोगुणी संवाद देख लोग रोमांचित हो उठे | वीर रस, करुण रस एवं भक्ति रस के साथ संपन्न हुई धनुष लीला को देखकर दर्शकगण भाव विभोर हो उठे। श्री लंका मैदान में अध्यक्ष अवधेश शुक्ला, शिक्षक नेता अशोक शुक्ला, अनुराग बाजपाई राजकुमार तिवारी, सत्यदेव दीक्षित, समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र तिवारी,श्याम मिश्रा अनुभव मिश्र, समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे, वहीं साकेत धाम परिसर में पूर्व चेयरमैन लल्लन बाजपाई,समिति के अध्यक्ष शिवा दीक्षित ,दिनेश कुमार प्रजापति, रामप्रकाश दीक्षित,राकेश मिश्रा, आदि लोग प्रमुख रूप से उपस्थित रहे |