पांच वर्ष पहले फांसी की सजा पाये हत्यारे की सजा उम्रकैद में बदली

*- थाना एरवाकटरा के मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर दोबारा सुनवाई हुई थी,घर में घुसकर सरेआम किशोरी की हत्या की थी*
*जीटी-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क टीम औरैया, कानपुर मंडलब्यूरो रिपोर्ट, राम प्रकाश शर्मा। 10 अक्टूबर 2024* *#औरैया।* जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार ने थाना एरवाकटरा क्षेत्र के ग्राम ऐरवाटीकुर में करीब दस वर्ष पहले घर में घुसकर किशोरी निशा की तमंचे से गोली मारकर हत्या करने की दुस्साहसिक वारदात को अंजाम देने वाले अजय कुमार को आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया गया है। उस पर 65 हजार रूपये अर्थदण्ड भी लगाया गया।
उक्त मामले की अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे डी.जी.सी. अभिषेक मिश्रा ने बताया कि ग्राम ऐरवाटीकुर निवासी रामप्रताप अवस्थी ने दिनांक 10 अक्टूबर 2014 को यह मुकदमा थाना ऐरवाकटरा में दर्ज कराया। वादी ने लिखा कि दिनांक 10 अक्टूबर 2014 की सायं करीब 6ः30 बजे वह अपने घर बैठा बातें कर रहा था। उसकी 14 वर्षीया पुत्री निशा आंगन में पढ़ रही थी। उसी समय पड़ोसी अजय कुमार पुत्र रामनरेश कोरी घर में घुस आया और देखते ही उसकी पुत्री के सीने में तमंचा से गोली मार दी। फायर की आवाज सुनकर मुहल्ले के लोग भी आ गए। सबने मिलकर पकड़ने की कोशिश की तो आरोपी तमंचा कारतूस छोड़कर भागने लगा। उसके कपड़े फटकर वादी के हाथ में रह गये। इसी बीच आरोपी के परिजन आ गये व उन्होंने उसे भागने में सहयोग किया। वादी ने अनुसार अभियुक्त अजय कुमार अक्सर उसकी पुत्री को स्कूल आने जाने पर परेशान करता था और उसे भी धमकी देता था कि उन लोगों को जान से मारकर उसकी लड़की को उठा ले जायेगा। उसने लोकलाजवश कहीं भी किसी से नहीं कहा। वादी की तहरीर पर पुलिस ने विवेचना कर चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत की। यह मुकदमा सत्र न्यायालय में चला।
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*पहले आरोपी को फांसी हुई थी*
*औरैया 10 अक्टूबर।* गौरतलब बात यह है कि इस हत्या के मुकदमे का निर्णय अप्रैल 2019 में तत्कालीन जिला जज सुशील त्यागी ने किया था और कोर्ट ने अभियुक्त अजय कुमार को फांसी की सजा दी थी। बाद में अभियुक्त ने इस निर्णय के विरोध में अपील इलाहाबाद उच्च न्यायालय मंे की। जिससे यह तर्क दिया गया कि इस मामले के दो गवाहों की विचारण के दौरान जिरह नहीं हो पायी थी। जिस पर हाईकोर्ट ने फांसी की सजा स्थगित कर दोबारा इस मामले को विचारण हेतु सत्र न्यायालय औरैया को वापस भेज दिया और दोनों गवाहों की जिरह कराने का आदेश दिया। इस पर यह मुकदमा दोबारा सत्र न्यायालय औरैया में चला। बचाव पक्ष की ओर से चीफ लीगल एण्ड डिफेंस काउंसिल जितेन्द्र सिंह तोमर व अभियोजन की ओर से डी.जी.सी. अभिषेक मिश्रा ने मामले में बहस की। दोनों पक्षकारों को सुनने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार ने शुक्रवार को निर्णय सुनाया तथा अभियुक्त अजय कुमार को आजीवन कारावास व 65 हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया। इस तरह अभियुक्त की फांसी की सजा आजीवन कारावास में परिवर्तित हो गई। अर्थदण्ड अदा न करने पर अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। बचाव पक्ष के वकील ने यह दलील भी दी कि दोष सिंद्ध अभियुक्त के वृद्ध माता-पिता है तथा पत्नी का भरण पोषण करने वाला कोई नहीं है। दोषी को जिला कारागार इटावा भेज दिया गया।