ईमाम हुसैन की कुर्बानी ने इस्लाम को और इंन्सानियत को जिंदा रखा :

ग्लोबल टाइम्स 7,0014 डिजिटल न्यूज नेटवर्क सम्वाददाता शिव शंकर मलासा भोगनीपुर कानपुर देहात
कानपुर देहात ब्लाक मलासा के अंतर्गत मोहम्मदपूर गाँव में सात जुलाई चांद रात से मुहर्रम की मजलिसो का आगाज हो चुका है। आज चौथी मुहर्रम की मजलिस अज़ाखान ऐ हसन असकरी मे जिस को खिताब (सम्बोधन) मौलाना सदाकत हुसैन ने बताया के कर्बला की जंग हक और बातिल की जंग थी। जिसमे हजरत इमाम हुसैन (अ. स.) के साथ सिर्फ 72 लोग थे जबकि यजीदियों की फौजें लाखो की तादात में थी उसके बावजूद भी इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ यजीदी हुकूमत के सामने खड़े हो कर पूरी दुनिया को ये बता दिया कि हक़ के लिए जंगे कैसे जीती जाती है। मौलाना ने बताया की कर्बला में उनकी शहादत आज इस बात की गवाही दे रहा है कि इस्लाम और इंन्सानियत जिंदा है और यजीद का कोई नाम लेने वाला नही है। उन्होंने कहा कि कुछ आतंकवादी संगठनों ने पूरी दुनिया मे इस्लाम का चोला ओढ़ कर एक बार फिर यजीदी हुकूमत की याद ताजा करने की कोशिश की है। लेकिन उनका क्या हश्र हुआ जैसे इराक़ सीरिया, अफगानिस्तान में हुआ सब ने देखा और पूरी दुनिया ने देखा है। उन्होंने बताया कि ये ईमाम हुसैन (स.अ.) की शहादत व दुआओ की देन है हम लोग आज भी आतंकवाद के खिलाफ डटकर सामना करते हुए शहीद हो जाते है।
ये जज्बा हमको सिर्फ कर्बला वालो की शहादत से ही मिलता है क्योंकि हक़ की हमेशा जीत होती है। ईमाम हुसैन को सिर्फ़ मुसलमान ही नहीं बल्के हर कौम मानती है और उनकी मुहब्बत हर एक के दिल में बसी हुई है यही वजह है की आज पुरी दुनिया में ईमाम हुसैन के ग़म को और उनकी शहादत को याद किया जा रहा है।
मजलिस में हुस्न आलम।शत्रुघन सिहं।दिलनवाज अली। आलम शिकोह।हसीनू।एजाज हुसैन।खतीबुल हसन।नूरे नज़र।विकार अली(पुतान मोजूद रहे