कानपुर देहात का बहुचर्चित बेहमई कांड ,,,, तारीख पर तारीख पर लगा विराम,,,, 43 साल बाद सुनाया गया फैसला

ग्लोबल टाइम्स 7,0014 डिजिटल न्यूज नेटवर्क संवाददाता शिव शंकर मलासा भोगनीपुर कानपुर देहात
, कानपुर देहात के बहुचर्चित बेहमई कांड मामले की सुनवाई एंटी डकैती कोर्ट में चल रही थी। जिसमे 43 साल के बाद फैसला आया है। कोर्ट ने आरोपी श्याम बाबू को आरोपी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है साथ ही अर्थ दंड भी लगाया गया है तो वही एक आरोपी विश्वनाथ को कोर्ट ने बरी किया है। कोर्ट के फैसले के बाद दोष मुक्त साबित हुए विश्वनाथ ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए खुशी जाहिर की। वही डी जी सी क्रिमिनल ने 43 साल बाद आए इस फैसले पर खुशी जाहिर की है। स्पेशल जज एंटी डकैती कोर्ट द्वारा सुनाए गए बहुचर्चित बेहमई कांड के फैसले पर वरिष्ठ अधिवक्ता ने जहां एक ओर खुशी जाहिर की है वहीं दूसरी ओर 43 साल बाद आए इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
दरअसल कानपुर देहात में 14 फरवरी 1981 को जिले के राजपुर थाना क्षेत्र के बेहमई गांव में डकैत फूलन देवी ने अपने साथियों के साथ मिलकर लाइन से खड़ा करके 20 लोगो की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद देश व विदेशी मीडिया ने भी जिले में डेरा डाला था और वही जब सारा गांव कांप रहा था तो राजाराम मुकदमा लिखाने के लिए आगे आए थे, उन्होंने फूलन देवी समेत 14 को नामजद कराते हुए 36 डकैतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।लेकिन पूरे देश को दहला देने वाला बेहमई कांड लचर पैरवी और कानूनी दांव पेंच में ऐसा उलझा कि 43 सालों में भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया था। वही बहुचर्चित मुकदमे में नामजद अधिकांश डैकतों के साथ ही कई गवाहों की मौत हो चुकी है। वही वादी राजाराम हर तारीख पर न्याय पाने की आस में हर तारीख पर आते थे और सुनवाई के लिए जिला न्यायालय पहुंचते थे। लेकिन न्याय की आस लिए वादी राजाराम की मौत हो चुकी है।
डीजीसी राजू पोरवाल ने बताया कि मामले की सुनवाई एंटी डकैती कोर्ट में चल रही थी। कोर्ट ने श्याम बाबू को दोषी माना है और सजा सुनाई है। वही विश्वनाथ को दोष मुक्त किया है।