पिता ने पुत्री को किडनी दान करने के बाद भी नहीं बचा सका

ग्लोबल टाइम 7
न्यूज़ नेटवर्क
उन्नाव
फुन्नी त्रिपाठी
उन्नाव तहसील बीघापुर पाटन बारा सगवर जीवन का अंत यह सच है कहते हैं कि ईश्वर की आगे किसी की नहीं चलती है ऐसा ही एक पिता के ऊसाथ हुआ जिसने कलेजे के टुकड़े को किडनी डोनेट करने के बाद उसे नहीं बचा सका और वईश्वर की लीला के आगे हार गया। यह घटना तहसील बीघापुर क्षेत्र के बक्सर धाम स्थित गंगा आरती के पुरोहित राजेंद्र कुमार उर्फ राजन की पुत्री मानसी उम्र लगभग 22 वर्ष की है जिसकी अब से छह माह पूर्व दोनों किडिनिया’ खराब हो गई थी ।

पुत्री की किडनी खराब होने के बाद भी पुत्री को जीवन देने का संकल्प लिया और अपने कलेजे के टुकड़े को अपने कलेजे का एक अंग देकर उसे खुश देखना चाहता था इसी के चलते अब से 6 माह 17 दिन पूर्व लखनऊ के राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में सरकार की मदद से पिता राजेंद्र ने किडनी डोनेट कर पुत्री को एक नया जीवन दिया जब कि पुत्री के जीवन की आस समाप्त हो गई थी किंतु पिता के दृढ़ संकल्प लें उसे नया जीवन देने एवं उसके जीवन में नए रंग भरने का काम किया और अपने जीवन को दांव पर लगा दिया तथा 13 दिसंबर 2022 को किडनी डोनेट करने के बाद पिता और पुत्री दोनों स्वस्थ रहें और घर के आंगन में खुशी लौट आई थी किंतु 25 जुलाई को पुत्री मानसी को बुखार आया हालत बिगड़ने पर उसे परिवारी जन राम मनोहर लोहिया इंडस्ट्यूट ले गए जहां कई दिन उपचार होने के बाद 30 जुलाई को शाम 4:00 बजे पुत्री मानसी की स्थिति बिगड़ गई और हृदय गति रुक जाने के साथ ही उसने जीवन की अंतिम सांस ली। पिता की मामता के अंतिम सांस लेते बड़ा सहयोग करें ही बस उसने यही कहा कि अपना जीवन दांव पर लगाने के बाद भी अपने ममता को नहीं बचा सका मै हार गया । पुत्री मानसी का अंतिम संस्कार 31 जुलाई को मां अंबिका चंडिका धाम स्थित मां गंगोत्री के पावन तट पर किया गया जहां वह पंचतत्व में विलीन हो गई। लोगों ने पहुंचकर अश्रु पूरित बिदाई दी। पंडित राजेंद्र के दो पुत्रीया’ तथा एक पुत्र रहे मानसी पंडित जी की छोटी पुत्री थी।