उत्तर प्रदेशलखनऊ

मोहर्रम जुलूस में मातम करते हुए अंजुमन हुसैनिया के सदस्य

ग्लोबल टाइम्स 7,0014 डिजिटल न्यूज नेटवर्क संवाददाता शिव शंकर मलासा भोगनीपुर कानपुर देहात उत्तर प्रदेश

कानपुर देहात में ब्लॉक मलासा के अंतर्गत मोहम्मदपुर गाँव मे इमाम हुसैन की याद में अन्जुमन हुसैनिया कदीम की जानिब से इमाम हुसैन की शहादत का सोग मनाया गया ।अलमऔर ताजिया का जुलूस निकाल उनका मातम मनाया
रात भर ताजिया का जुलूस अपने निर्धारित रास्तों से होकर कर बाजार इमाम चौक पर रख दिया गया ।
इसके बाद सुबह डा० तहुरुल हसन के इमाम बारगाह मे मजलिस के बाद अलम का जुलूस निकाला गया जो अपने निर्धारित रास्तों से गुजरता हुआ करबला में खत्म हुआ।
जुलूस मे लोगों ने जंजीरों का मातम किया।
३बजे बाजार इमाम चौक से ताजिया उठाया गया जो अपने पुराने निर्धारित रास्तों से गुजरता हुआ करबला मे दफन किया गया।
मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना सदाकत हुसैन ने बताया।
1400साल पहले आज के दिन के मुसलमानों के पैगम्बर मोहम्मद सल के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को बड़ी बेदर्दी के साथ| करबला में शहीद कर दिया गया था।यहाँ तक कि इमाम हुसैन के तीन दिन से भूखे प्यासे बेटे जनाब अली अकबर भतीजा जनाब कासिम को घेर का शहीद कर दिया गया। अली अकबर के एक जालिम ने आपके सीने में तीन भाल की बरछी ऐसी मारी कि वह टूट कर सीने में ही रह गई। अली अकबर की आवाज पर इमाम हुसैन दौड़ते हुए पहुंचे। बेटे के सिरहाने बैठे तो बेटे ने कहा कि बाबा सीने में बरछी लगी है। बयान सुनकर लोग रोने लगे।जवान भाई मोला अब्बास अस के दोनो हाथ कलम करने के बाद शहीद कर दिया १० मोहरर्म को इमाम हुसैन की शहादत की याद मे ये सोग मनाया जाता है। इमाम हुसैन मुसलमानों के पैगम्बर मोहम्मद सल के नवासे थे।
मोहर्रम की 10 तारीख को एक लाख के लश्कर ने जिन 72 लोगों को मारा उनमें 6 माह बच्चे असगर के साथ-साथ कम उम्र के बच्चे और बूढे़ जवान थे।आपकी औरतों और बच्चियो बच्चों और इमाम जैनुल आबदीन अस को कैद कर दिया गया।के उन्हीं याद में आ मतम मनाया जा रहा है।

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