नुक्कड़ नाटक देखकर लोगों ने खाई फाइलेरिया की दवा !

अजीजगंज 158 व नवादा में 48 लोगों को खिलाई गई दवा
ग्लोबल टाइम्स 7 डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क
फै़याज़उद्दीन साग़री
शाहजहाँपुर, जनपद में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत लोगों को जागरूक करने के लिए सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च ( सीफार) के सहयोग से आयोजित किए गए नुक्कड़ नाटक का असर हो रहा है। बुधवार को नुक्कड़ नाटक देखकर अजीजगंज मोहल्ले में 158 और नवादा में 58 बच्चों ने स्वास्थ्य कार्यकर्ता के माध्यम से दवा खाईं।

अनुकृति नाट्य मंच के कलाकार बीते 22 फरवरी से जनपद के विभिन्न शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए चलाए जा रहे सर्वजन दवा सेवन अभियान के बारे में जागरूक कर रहे हैं।
जिला मलेरिया अधिकारीडॉ.एस.पी.गंगवार ने बताया किसीफार द्वारा कराएगए नुक्कड़ नाटक का जनता पर बहुत प्रभाव पड़ा है। लोगों ने फाइलेरिया की गंभीरता को समझकर दवा का सेवन किया।
पीसीआई संस्था के एसएमसी शमीम ने बताया कि नुक्कड़ नाटक से प्रभावित होकर ही अजीजगंज मोहल्ले में 158 और नवादा में 58 बच्चों ने स्वास्थ्य कार्यकर्ता के माध्यम से दवा खाईं।
पीसीआई के डीएमसी मो. खालिद ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन दो वर्ष से कम के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। पांच वर्ष तक लगातार हर वर्ष एक बार दवा खा लेने से फाइलेरिया से बचने या नियंत्रित करने में पूरी मदद मिलती है। फाइलेरिया की दवा पूरी तरह सुरक्षित है।
डीएमओ ने बताया कि दवा सेवन के बाद हल्का बुखार, पेट दर्द, हाथ पैर में दर्द, सिर दर्द, जी मिचलाना या उल्टी-चक्कर आए तो घबराएं नहीं। पानी पिएं, खुले में कुछ देर आराम करें और ज्यादा परेशानी होने पर पास के स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों को दिखाएं। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।
उन्होंने बताया कि यह बीमारी इस मामले में ज्यादा खतरनाक है कि इसके लक्षण ही 10 से 15 वर्ष बाद दिखते हैं और जब दिखते हैं तब कोई उपचार नहीं बचता है। फाइलेरिया यानी हाथीपांव से बचाने के लिए आशा और स्वास्थ्य कर्मी घर-घर दवा खिलाने जा रहे है तो सभी उनको पूरा सहयोग दें और दवा का सेवन उनके सामने खुद करें और बच्चों को भी कराएं।यह अभियान 6 मार्च तक चलेगा उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से जान तो नहीं जाती है लेकिन अगर व्यक्ति एक बार पीड़ित हो गया तो वह ठीक नहीं हो सकता। यह बीमारी व्यक्ति को जीवन भर के लिए अपंग बना देती है।