उत्तर प्रदेशलखनऊ
जहां कुंड के रूप में भक्त करते हैं देवी की पूजा

नवरात्रि पर्व पर विशेष-
जहां कुंड के रूप में भक्त करते हैं देवी की पूजा
_गंभीरपुर गांव का ज्वाला देवी मंदिर
- नवरात्र पर्व पर दूर-दूर से आते हैं देवी के भक्त
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कानपुर परिक्षेत्र (कानपुर)। जनपद कानपुर नगर के भीतरगांव ब्लाक में स्थित बेहटा गंभीरपुर गांव में मां ज्वाला देवी का मंदिर है। जो करीब पांच सौ साल पुराना है। मंदिर में पहुंचने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैैं। नवरात्र की सप्तमी और अष्टमी तिथि को यहां मेले का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही समय समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के भी आयोजन होते रहते हैं। देशभर से बड़ी संख्या में भक्त मां के दर्शन को आते हैं। मंदिर में कुंड रूप में माता का पूजन होता है।
मन्दिर के इतिहास के बारे में लोगों ने बताया कि ज्वाला देवी का मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। गांव के ही रहने वाले मराठन बाबा हिमांचल प्रदेश स्थित ज्वाला देवी मंदिर से जलती हुई ज्योति लेकर आए थे। तब से यहां पर लगातार ज्योती जल रही है। मंदिर में माता कुंड के रूप में मौजूद हैं। यहां पहुंचने वाले भक्त कुंड से जल भरकर अपनी मनोकामना मांगते हैं जिसे मां पूरी करती हैं।
किवदंती है कि मंदिर के पास कुछ लोगों को सिंह की गर्जना सुनाई पड़ी थी। कुछ ग्रामीणों ने उस समय सिंह को देखने का दावा भी किया था। भक्त बताते हैं कि पहले माता के मंदिर में दो सर्प भी रहते थे। यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्र में मंदिर में दर्शन पूजन करने को दूर दूर से भक्त आते हैं।
मंदिर तक पहुंचने के लिए कानपुर या अन्य जनपदों से आने वाले लोग रमईपुर से साढ़ होते हुए भीतरगांव के बेहटा गंभीरपुर आ सकते हैं। इसके साथ ही हमीरपुर, भोगनीपुर और पुखरायां की ओर से जाने वाले लोग पहले घाटमपुर आकर कुष्मांडा देवी तिराहा से साढ़ को जाने वाले रोड से होते हुए मंदिर परिसर जा सकते हैं।
मंदिर के पुजारी चंद्रकेश मिश्रा ने बताया कि नवरात्र में माता के दर्शन को बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। अष्टमी और नवमी तिथि को यहां भंडारा किया जाता है और रामलीला का मंचन भी होता है। बड़ी संख्या में भक्त मां के दर्शन को आते हैं।
अभिनव तिवारी निवासी ने बताया कि माता के मंदिर में समय-समय चमत्कार होते रहते हैं। बहुत से ग्रामीणों ने इसे अनुभव किया है। क्षेत्र के सभी श्रद्धालुओं पर माता की कृपा है। भक्त मां के दरबार में श्रीफल और पुष्प अर्पित करते हैं।
घाटमपुर साढ मार्ग के किनारे गंभीरपुर गांव माता का मंदिर दूर से ही दिखाई पड़ता है।
फोटो_माता का मंदिर और हवन कुंड।
