उत्तर प्रदेशलखनऊ

योगी सरकार में मित्र पुलिस की छवि को बट्टा लगा रहे कस्बा इंचार्ज

कस्बा इंचार्ज के उत्पीड़न से परेशान व्यक्ति ने जनसुनवाई सहित पुलिस के उच्चाधिकारियों से लगाई गुहार

कस्बा इंचार्ज की देखरेख में संचालित अवैध बूचड़खाने: सूत्र

ग्लोबल टाइम्स 7
न्यूज़ नेटवर्क
सच की आवाज़

कानपुर: जनपद कानपुर नगर के थाना क्षेत्र बिल्हौर में पुलिस विभाग के चंद पुलिस कर्मियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने और मनमानी करने से दिनोंदिन पुलिस विभाग की छवि बिगड़ती जा रही है। आमजन की समस्याओं को सुनने और समाधान करने के बजाय उनके साथ बदसलूकी करने की घटनाएं अक्सर सुनने को मिलती रहती हैं। पुलिस को जनता का रक्षक और सेवक समझा जाता है, लेकिन चंद पुलिसकर्मियों के कारण विभाग की छवि धूमिल हो रही है। दबंग व्यक्तियों, भू माफियाओं से रिश्वत लेकर उनके अपराधों पर पर्दा डालने के चलते दिन ब दिन अपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है, तो वहीं अपराधियों, दलालों के हौसले बुलंद है और पुलिस की छवि निरंतर बिगड़ रही है, क्योंकि अपराधी भयमुक्त हैं।

कस्बा इंचार्ज की देखरेख में चल रहे अवैध बूचड़खाने: सूत्र

प्रदेश सरकार ने अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगा रखा है, वहीं बिल्हौर कस्बा क्षेत्र में धड़ल्ले से बूचड़खाने चल रहे हैं। स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी शिकायत पुलिस से की लेकिन इन्हें बंद कराने की अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनका आरोप है कि रात के अंधेरे में पशुओं की कटाई की जाती है और भोर से पहले यहां से निकलने वाले कचरे को कुटरा रोड पर फेंक दिया जाता है। जिसकी बदबू से राहगीरों के साथ ही सुबह टहलने वालों का निकला मुश्किल है। अवैध रूप से चल रहे बूचड़खानों की जानकारी यूं तो लगभग सभी को है, पर पुलिस को इसका पता तक नहीं है। सुनने में यह भले अजीब लग रहा लेकिन पुलिस का दावा तो यही है। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बूचड़खाने के संचालकों से कस्बा इंचार्ज आलोक तिवारी मोटी रकम वसूल करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अवैध बूचड़खानों को लेकर सख्त प्रदेश सरकार द्वारा जारी फरमान का असर नगर में क्या होगा?

उगाही के चलते फल व्यापारी को कर रहे प्रताड़ित

बिल्हौर कस्बा निवासी फल व्यापारी ने आईजी कानपुर से मिलकर उन्हें बिल्हौर कस्बा इंचार्ज आलोक तिवारी पर मानसिक प्रताड़ना अवैध वसूली की मांग का गंभीर आरोप लगाते हुए पत्र सौंपा है। व्यापारी ने आईजी को पत्र देते हुए कहा कि कस्बा इंचार्ज आलोक तिवारी मेरे गोदाम से लगभग दो सौ मीटर की दूरी पर हुए झगड़े की सूचना पर आए वहां से वापस आते समय शाम लगभग सात बजे उसके गोदाम पर रुके और उसे बाहर बुलाकर कहने लगे भीड़ कैसे लगा रखी है माहौल ख़राब चल रहा है तो उसने कहा कि मुझे सड़क पर क्या हो रहा है जानकारी नहीं है मैं अन्दर अपना काम कर रहा हूं जिसके पश्चात वह चले गए करीब पन्द्रह मिनट बाद पुनः वापस आए और मेरे नाम पता व मोबाइल नंबर लिया। जब उसने पूछा कि साहब मैंने किया क्या है तो कहने लगे पता चलेगा क्या किया है और वापस चले गए, रात तकरीबन 10:30 पर कस्बा इंचार्ज ने व्यापारी को फोन कर थाने आओ कहकर फ़ोन काट दिया। लगभग आधे घंटे बाद लगभग 11 बजे पुनः फोन कर थाने आने के लिए कहा और न आने पर घर से उठा कर ले जाने की धमकी दी। तब से व्यापारी और उसका परिवार भयभीत है और उच्च अधिकारियों से न्याय की गुहार लगा रहा है। सूत्रों की मानें तो कस्बा इंचार्ज राह चलते किसी भी उठा लेते हैं और दस बीस हजार की उगाही कर छोड़ देते हैं और न देने पर फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी देते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि एक प्रतिष्ठित व्यापारी को देर रात थाने बुलाने का क्या औचित्य है। पुलिस के उच्चाधिकारी जहां पुलिस की छवि को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। वही विभाग के कुछ ऐसे भ्रष्ट पुलिसकर्मी है जो विभाग की साख को बट्टा लगा रहे हैं। अन्याय व उत्पीड़न के खिलाफ लोग मित्र पुलिस का सहारा लेते हैं लेकिन जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो न्याय कैसे मिले। यह एक बड़ा सवाल है।

पूर्व में भी कर चुके हैं ऐसी ही हरकत

कस्बा इंचार्ज के उत्पीड़न से परेशान एक व्यक्ति ने जनसुनवाई पोर्टल व पुलिस के उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर आलोक तिवारी द्वारा उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए न्याय की गुहार लगाई है। बताते चलें कि यह वही कस्बा इंचार्ज आलोक तिवारी हैं जिन्होंने लगभग तीन माह पूर्व जून 2022 में कस्बे के डाकखाना रोड स्थित एक प्रतिष्ठित इलेक्ट्रॉनिक व्यवसाई को दुकान से खींच कर मारपीट और गाली गलौज की थी। दुकानदार का कसूर इतना था कि उसने कस्बा इंचार्ज से पैसे मांग लिए थे।

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