स्वास्थ्य

कोविड खत्म, खतरा नहीं! नई स्टडी में खुलासा—ठीक होने के बाद भी बढ़ रहा गंभीर रोगों का रिस्क !

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कोरोना संक्रमित रह चुके लोगों में बढ़ रहा गंभीर बीमारी का खतरा; नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा, ‘लॉन्ग कोविड’ बड़ा जिम्मेदार

कोरोना महामारी समाप्त होने की घोषणाओं के बाद लोगों को लगा था कि अब जीवन सामान्य होने लगेगा, लेकिन नई शोध यह साफ कर रही हैं कि कोविड का असर अभी भी खत्म नहीं हुआ है। बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो संक्रमण से ठीक होने के महीनों बाद भी थकान, सांस फूलना, दिमागी सुस्ती, सीने में भारीपन और मांसपेशियों के दर्द जैसी समस्याओं से परेशान हैं। इस स्थिति को लॉन्ग कोविड या पोस्ट कोविड सिंड्रोम कहा जाता है।

हाल ही में Journal of Medical Virology में प्रकाशित एक नई स्टडी ने लॉन्ग कोविड के असल कारणों पर बड़ा खुलासा किया है। शोध में दो प्रमुख खतरनाक बदलाव पाए गए—माइक्रोक्लॉट्स और NETs (Neutrophil Extracellular Traps)—जिन्हें लॉन्ग कोविड की गंभीरता का मुख्य कारण बताया गया है।

स्टडी के प्रमुख निष्कर्ष
शोध में पाया गया कि लॉन्ग कोविड मरीजों के खून में सामान्य लोगों की तुलना में माइक्रोक्लॉट्स कई गुना अधिक पाए गए। ये अत्यंत छोटे खून के थक्के होते हैं, जो रक्त प्रवाह को धीमा कर देते हैं। इनके कारण मरीजों में लगातार थकान, मांसपेशियों में दर्द, ब्रेन फॉग, सांस की समस्या और अंगों में कमजोरी देखी जाती है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि ये माइक्रोक्लॉट्स आसानी से टूटते नहीं और लंबे समय तक खून में बने रहते हैं।

दूसरी बड़ी खोज यह रही कि लॉन्ग कोविड मरीजों में न्यूट्रोफिल नामक प्रतिरक्षा कोशिकाएँ अत्यधिक मात्रा में NETs बना रही थीं। यह जाल जैसी संरचनाएँ खून में सूजन बढ़ाती हैं और माइक्रोक्लॉट्स को और मजबूत बना देती हैं, जिससे खून की नलियों में रुकावट और बढ़ जाती है।

कैसे बनता है लॉन्ग कोविड?
स्टडी में बताया गया कि माइक्रोक्लॉट्स और NETs एक-दूसरे को बढ़ावा देते हैं। यह खतरनाक चक्र महीनों तक जारी रहता है, जिस कारण कई मरीज ठीक होने के बाद भी सामान्य जीवन नहीं जी पाते।

विशेषज्ञों ने चेताया कि इस प्रक्रिया की वजह से शरीर की ऊर्जा प्रभावित होती है और मरीज लंबे समय तक कमजोर बने रहते हैं। वैज्ञानिकों ने इसे लॉन्ग कोविड की समझ में अब तक की सबसे महत्वपूर्ण खोज माना है।

यह अध्ययन साफ करता है कि कोरोना संक्रमण भले खत्म हो जाए, लेकिन उसके प्रभाव अभी भी गंभीर खतरा बने हुए हैं।

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