तपस्वी सत्यनिष्ठ पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी पंच तत्व में विलीन

*उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ-गणेश ज्ञानार्थी*
*जीटी 7 डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क टीम औरैया, कानपुर मंडलब्यूरो रिपोर्ट, रामप्रकाश शर्मा। 24 मार्च 2025* *#औरैया।* 24 मार्च सोमवार प्रख्यात सिद्धांत निष्ठ सोशलिस्ट लोहियावादी नेता और उत्तर प्रदेश सरकार में यशस्वी सूचना आदि मंत्री रहे सत्यदेव त्रिपाठी ने 86 वर्ष की आयु में कल लखनऊ में अंतिम सांस ली। आज उनके गांव बेहारी सेहुद नियामतपुर भाग्यनगर में वे पंच तत्वों में विलीन हो गयें। जिलाधिकारी डॉक्टर इंद्र मणि त्रिपाठी एवं पुलिस अधीक्षक अभिजीत आर शंकर की उपस्थिति में पुलिस टुकड़ी ने उन्हे गार्ड ऑफ ऑनर देते हुए राजकीय सम्मान प्रदान किया। उनके पुत्र अभिषेक त्रिपाठी ने उन्हे मुखाग्नि दी। इस अवसर पर लखनऊ कानपुर औरैया इटावा से सैकड़ों की संख्या में लोग उनके अंतिम संस्कार में सम्मिलित हुए।
त्रिपाठी जी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र संघ में महासचिव और लखनऊ यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रहने के बाद डॉक्टर लोहिया ने अपने फर्रुखाबाद चुनाव में उनकी योग्यता को परख कर उन्हें सोशलिस्ट पार्टी की युवजन सभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया, जिसके बाद 1967 में अंग्रेजी हटाओ आंदोलन में लोहिया जी के कारवां को राष्ट्र भर के युवाओं में बढ़ाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। सोशलिस्ट नेता राज नारायण जी के रायबरेली चुनाव में वे उनका चुनावी प्रबंधन कर रहे थे,फिर जब इंदिरा जी के चुनाव को अवैध साबित करने का मुकदमा चला तब उन्ही की पैरवी से न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा ने प्रधानमंत्री के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया। जिसके बाद लगी इमरजेंसी में वे लगातार डी आई आर, मीसा में 19 माह जेल में निरुद्ध रहे।1977 जून में जब जनता सरकार बनी तो उन्हे जुलाई में सूचना राज्य मंत्री बनाया गया, बाद में मुख्यमंत्री रामनरेश यादव और बनारसी दास गुप्ता ने उन्हे अपने साथ संबद्ध रखते हुए पर्वतीय विकास और तकनीकी शिक्षा मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार भी दिया।1986 में पुराने सोशलिस्ट रहे कांग्रेसी मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी उन्हें कांग्रेस में ले आए और पीसीएफ का चेयरमैन बना दिया, बाद में उन्हे बैंक ऑफ इंडिया के डायरेक्टर भी बनाया गया। .बेहद ईमानदार सत्यनिष्ठ रहे त्रिपाठी जी अंतिम समय तक राष्ट्रीय हितों के लिए चिंतित रहें।काफी समय से वे भाजपा में रहकर मोदी की नीतियों के समर्थक और योगी जी के प्रशंसक रहे। विगत पैंतालीस वर्ष से उनके संपर्क में रहे पत्रकार गणेश ज्ञानार्थी ने वहां से लौट कर बताया कि वे उस युग के ऐसे नेता रहे जिन्होंने जेपी के आंदोलन में भाग लेने के बाद जीवन भर भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ी और लड़वाई। जिन्होंने पूरी दम ठोक कर कहा कि अगर हम चुप रहे और परिस्थितियों पर सत्य का प्रहार नही किया तो आगे आने वाली पीढ़ी यही सोचेगी कि लोहिया तो गुंडों का ही नेता रहा होगा। युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष त्रिपाठी जी 1967 से पहले और बाद में मुलायम सिंह यादव के विधायक बनने के बाद भी जब तूफान मेल से जसवंतनगर पधारते थे तो मुलायम सिंह एक सैकड़ा से अधिक साइकिलो पर लाल झंडी लगाकर आए कार्यकर्ताओं का नेतृत्व करते हुए पूरे कस्बे से लेकर रेलवे स्टेशन तक सत्यदेव त्रिपाठी ज़िंदाबाद के नारे लगाते थे। उन्होंने अनैतिक राजनीति का खुलकर विरोध किया। वे चलता फिरता विश्वविद्यालय रहे और राजनीतिक/छात्र आंदोलनों समेत देश के आज़ादी से लेकर अब तक के घटनाक्रमों के विषद अध्येता और जानकारियों का खज़ाना हैं। . 85 वर्ष की अवस्था में भी वे बूढ़े, थकित, परेशान,और निराश नही दिखते रहे। त्रिपाठी जी अपनी संयमित जीवनशैली चारित्रिक निष्ठा अध्ययनशीलता और व्यापक जनसंपर्क के कारण वे लगातार युवकों में उत्साह से दुनियां में परिवर्तन के अभिलाषी नजर आते रहे। उन्हें लगता रहा कि अभी सब कुछ मरा नही,और मरेगा भी नही। अनाचारियों, व्यभिचारियों भ्रष्टाचारियों,अपराधियों की जगह ब जगह उगती बे शर्मों की फसल को ये सज्जन जमात उखड़ कर फेकने में सफल रहेगी ही। उस दौर के लोगों में जातिवादी ज़हर का घातक असर नही रहा। कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण नियंत्रण और पोषण में कोई भेदभाव, छुआछूत, अगड़ा पिछड़ा, नजर नही आया। उनके निधन से तपस्वी राजनीति के एक युग का अवसान हो गया। आज शाहजहांपुर से वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रबंध त्रिपाठी, प्राचार्या डॉक्टर रानी त्रिपाठी, एडवोकेट शिवम शुक्ला, औरैया से पत्रकार चंद्रशेखर अग्निहोत्री, इटावा से कमलेश वर्मा आदि विभिन्न राजनैतिक दलों के लोग सामाजिक कार्यकर्ता आदि पहुंचे।