लखनऊ

GT ~7 अधिकतर सड़कें जर्जर खस्ताहाल,बयानों से पेट भर रहे नेताजी” ! रायबरेली

विजय सिह , जीटी 7 न्यूज नेटवर्क लखनऊ उत्तर प्रदेश

आम चुनाव में मुद्दा क्यों नहीं बन पा रही बदहाल सड़कें, जनता महफिल बीच तालियां बजवाते दिखते नेता जी

रायबरेली। लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। रायबरेली का संबंध गांधी परिवार से होने की वजह से यहां केंद्र और प्रदेश के मंत्री आए दिन पहुंच रहे हैं। इस बीच सरकार और विपक्ष की तरफ से जिले के विकास को लेकर तमाम दावे किए जा रहे हैं। लेकिन जमीन पर हालात दावों के ठीक विपरीत है। खासकर सड़कों के मामले में रायबरेली इंतेहाई पिछड़ेपन का शिकार है। आप जिस रास्ते पर निकल जाएं धूल धूसरित होकर ही लौटेंगे। यहां राजमार्गों को छोड़कर कस्बे और गांव को जोड़ने वाली अधिकतर सड़कें खस्ता हाल है। इसी तरह शहर के अंदर भी सड़कों का बुरा हाल हो रखा है। यहां अधिकतर सडकें पाइप और सीवर लाइन डालने के लिए खोद कर खराब की गई है। जिसमें पीडब्लूडी, नगर पालिका, विकास प्राधिकरण और डूडा की सड़कें शामिल हैं।
रायबरेली की जेल रोड लगभग 5 साल से बदहाली का शिकार है। इसे बनाने के लिए लंबे समय से काम चल रहा है। लेकिन बजट और भुगतान के अभाव में यह सड़क अब तक कंप्लीट नहीं हो सकी है। इसी तरह शहर के फ्लाईओवरों पर आपको रायबरेली में खड्ढे देखने को मिलेंगे। हाल में जब राहुल गांधी रायबरेली आए तो कांग्रेस के चेयरमैन ने उनके रास्ते में जगह-जगह गड्ढा बंद करने का काम किया था। इसी तरह जब राजमार्ग वाले मंत्री जी नितिन गडकरी साहब रायबरेली आए तो उनके रास्ते को पीडब्ल्यूडी ने सजाने और संवारने में भरपूर कोशिश की। लेकिन इन नेताओं के चले जाने के बाद जिले की बदहाल सड़कों को उनकी किस्मत पर छोड़ दिया गया है। उन्हें दुरुस्त करने की बजाय राजनेता झूठे वादे और बेबुनियाद दावों से पब्लिक का पेट भर रहे हैं। यही कारण है कि शहर के अंदर आईटीआई कॉलोनी, इंदिरा नगर कॉलोनी, काशीराम कॉलोनी, राजघाट पर बंधा वाली सड़क, आजाद नगर कॉलोनी, अनवर नगर कॉलोनी, गल्ला मंडी से कल्लू का पुरवा और बाम्बे धर्म कांटा से रायपुर की तरफ जाने वाली सड़क, घंटाघर से छोटा और बड़ा घोसियाना जाने वाली सड़क, तेलियाकोट में खपर मलंग कब्रिस्तान की तरफ जाने वाली सड़क हो या फिर गोरा बाजार और मलिक मऊ के अंदर जाने वाली सड़क। इन सबके साथ साथ शहर के अधिकतर मोहल्लों में गली कूचों का बड़ा बुरा हाल है। कायदे से देखा जाए तो इन सड़कों की बदहाली को लेकर जहां सत्ता पक्ष भाजपा जिम्मेदार है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी भी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला नहीं झाड़ सकती है। क्योंकि यहां सोनिया गांधी लंबे समय से सांसद रही हैं और दो बार से नगर पालिका अध्यक्ष भी कांग्रेस पार्टी से ही जीत कर आ रहे हैं। लेकिन चुनाव प्रचार के शोर में आम जन से जुड़ी इस बुनियादी सुविधा पर उठने वाली आवाज दब कर रह गई है। आपको जानकर हैरानी होगी कि अभी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी साहब जब रायबरेली आए तो उन्होंने यहां रिंग रोड के फेस टू में होने वाले काम के लिए बजट अलाट कर लोगों से तालियां बजवाई। लेकिन लगभग 12 साल से पेंडिंग मे पड़ी इस सड़क जिससे शहर में ट्रैफिक जाम से निजात मिलनी है अभी तक वह क्यों नहीं कंप्लीट हो सकी इस पर बात करने वाला कोई नहीं है। आखिर सोनिया गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल इस बाईपास के साथ सरकार के सौतेले बर्ताव पर किसी न किसी को तो जवाब देना ही चाहिए। इसी तरह रायबरेली से अयोध्या और रायबरेली से ही महाराजगंज के रास्ते हैदरगढ़ होते हुए बाराबंकी को जोड़ने वाली सड़क को साल 2021 और 22 तक कंप्लीट करने की बात हुई थी। उसे आज तक क्यों नहीं पूरा किया जा सका जवाब इस पर भी मांगा जाना चाहिए। लेकिन जाति और धर्म में उलझी राजनीति में बुनियादी सुविधा पर बात करने की बजाय नेताजी लोग सिर्फ बयान से ही जनता का पेट भरने में जुटे हैं। इस पर आम नागरिक को जागरूक होने की जरूरत है। हमें चाहिए कि जब लोग हमारे बीच वोट मांगने आए तो उनसे इस विषय पर जरूर बात करें। जिससे आमजन को यातायात की इस गंभीर समस्या से निजात मिल सके।

Alok Mishra

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