संसाधनों के अभाव में निपुण भारत बनाने का लक्ष्य कैसे हो पूर्ण

धनाभाव के कारण संसाधनों की पूर्ति असंभव, छात्रों का भविष्य होता है प्रभावित
ग्लोबल टाइम्स- 7 न्यूज़ नेटवर्क 0006
राकेश कुमार मिश्र
संवाददाता तहसील मैंथा
12 नवम्बर 2023
# शिवली
कानपुर देहात, निपुण भारत बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से वेसिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रारम्भ की गई अर्धवार्षिक परीक्षाओं में विभाग द्वारा परीक्षाओं के लिए धन उपलब्ध न कराने की स्थिति शिक्षकों व छात्रों की परेशानी का शबब बन गया है वहीं विभाग के लिए भी एक प्रश्न चिन्ह लग रहा है | शिक्षकों का मानना है कि यदि उन लोगों से अगर कोई थोड़ी सी भी त्रुटि हो जाती है तो अधिकारी तुरंत ही विभागीय कार्यवाही करते हुए कहीं वेतन वृद्धि रोक देते हैं तो कहीं एक दिन का वेतन काट देते हैं लेकिन स्वयं कभी भी किसी भी कार्य को निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत पूरा नहीं कर पाते हैं | अधिकारियों की उदासीनता को परिषदीय विद्यालयों में संचालित अर्धवार्षिक परीक्षाओं के इंतजाम से ही समझा जा सकता है, शासन द्वारा परिषदीय विद्यालयों में अर्धवार्षिक परीक्षाओं के निर्देश तो जारी कर दिए लेकिन हाल यह है कि अधिकांश जिलों में प्रश्नपत्र तक का इंतजाम नहीं किया जा सका, 80% स्कूलों में ब्लैक बोर्ड पर ही प्रश्न पत्र लिखे गए यहां तक कि कहीं-कहीं उत्तर पुस्तिकाओं का इंतजाम भी छात्रों और शिक्षकों को ही करना पड़ा इससे स्वाभाविक ही सत्यता क्या है का अनुमान लगाया जा सकता है कि प्राथमिक शिक्षा में गुणवत्ता के दावे कितने सच हैं? परिषदीय विद्यालय शिक्षा प्रदान करने के प्राथमिक केंद्र हैं जहां छात्र-छात्राओं को संसाधन मुहैया कराने के प्रति अधिकारियों को गंभीर होना चाहिए, परीक्षाओं के संदर्भ में केवल औपचारिकताओं का निर्वहन नहीं किया जाना चाहिए, इसके लिए प्रत्येक स्तर पर तैयारी होना आवश्यक है | अव्यवस्था की स्थिति छात्रों को भी परीक्षाओं के प्रति उदासीन कर देती है और इसका असर उन छात्रों पर भी पड़ता है जो मेधावी हैं और पूरी मेहनत से परीक्षाओं की तैयारी करते हैं ।

परिषदीय विद्यालय प्राथमिक शिक्षा की रीढ़ हैं, जहां विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं ,नई शिक्षा नीति के तहत इन विद्यालयों में स्मार्ट क्लास समेत अन्य आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराने का लाभ छात्रों को तभी मिल सकता है जब अधिकारी शासकीय निर्देशों का अनुपालन ईमानदारी से करें ।

विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का कहना है कि इस साल प्रश्नपत्र के लिए बजट नहीं आया उन्हें स्वयं से ही इसकी व्यवस्था करने के निर्देश दिये गए थे इस तथ्य की जांच होनी चाहिए कि बजट आवंटित क्यों नहीं किया गया और इस अव्यवस्था का उत्तरदायी कौन है ? स्कूल शिक्षा महानिदेशक द्वारा यदि यह कहा गया है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को प्रश्नपत्र छपवाकर परीक्षा कराने के निर्देश दिये गए थे तो उन्हें यह जवाब भी लेना चाहिए कि बीएसए द्वारा इसका अनुपालन क्यों नहीं किया गया?यह सत्य है कि अव्यवस्था किसी भी स्तर पर की जाय किन्तु प्रभावित छात्र ही होता है, आखिर इसके लिए किसे जिम्मेदार माना जाए?