हाजी वारिस अली शाह मसोलनी ट्रस्ट गंगा जमुनी तहजीब के नाम पर हो रही ठगी देवा बाराबंकी

अनुयायी उठा रहे आवज़ तो जिम्मेदार अधिकारियों द्वरा लिखा जा रहा मुकदमा भेजी जा रही नोटिस !
ग्लोबल टाइम्स 7 न्यूज नेटवर्क
लखनऊ उत्तर प्रदेश
बाराबंकी
आपको बताते चलें यह मामला हाजी वारिस अली शाह देवा शरीफ मसोलिनी ट्रस्ट से जुड़ा हुआ जो मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर स्थिति है!
अगर यह कहा जाए कि यह उत्तर प्रदेश का एक ऐसा पवित्र स्थल है, जो की गंगा जमुनी तहजीब को वर्षों चरितार्थ करता आ रहा है, तो अतिश्योक्ति ना होगा यह एक ऐसा प्राचीन स्थल है, जिसमें सभी प्रकार के धर्मों जातियों का समावेश रहा है, जहां लाखों लाख अनुयायी देश विदेश से जुड़े रहे हैं।

कौन थे बाबा देवा शरीफ !…..हाजी वारिस अली शाह देवा शरीफ वैसे तो मुस्लिम थे पर वह एक ऐसे संत थे जो ब्रम्ह ज्ञान के उपासक थे उनका कहना था ईश्वर एक है, जो रब है, वही राम है,, ईश्वर सभी अंदर विराजमान है,, उसे पहचानने जरूरत है, इसके लिए एक गुरु आवश्यकता है, उनका यह संदेश समस्त मानव जाति के लिए है,, इसमें कोई बड़ा नहीं कोई छोटा नहीं, बाबा समस्त मानवता की स्थापना के लिए एक महान प्रयास किया वह कई देशों में जाकर ब्रम्ह ज्ञान एवं प्रेम योग की अलख जगाने का प्रयास किया ताकि आपसी भाई चारा प्रेम शौहार्द बना रहे !
उनके (ऐहराम) जो की एक प्रकार का अंग वस्त्र होता था जिसका रंग किसी धर्म से प्रेरित ना होकर पीला था जो बाबा के मुरीद होने वाले अनुयायी धारण करते हैं।
राजा पंचम सिंह ,, वरीसे पाक बाबा देवा शरीफ का सम्बंध !

मेले से जुड़े लोग बताते हैं कि एक बार इटावा के राजा ठाकुर पंचम सिंह के आमंत्रण पर वारिस पाक राजमहल पहुंचे थे। वहां पर हाजी साहब ने राजा से शास्त्रार्थ किया। जब राजा ने बताया कि वह भगवान कृष्ण के उपासक है। इस पर हाजी साहब ने उनसे आंखें बंद करने को कहा। जब राजा ने आंखें खोली तो उनको भगवान श्रीकृष्ण का रूप दिखा। राजा ने अपनी जमीन ही हाजी साहब को वक्फ कर दी। यही संपत्ति आज भी मजार परिसर में जुटने वाले फकीरों के भोजन का एक मात्र माध्यम है। ऐसे ही राजा रामनगर हरिनारायण सिंह ने हाजी साहब के देह त्यागने के बाद उनकी दरगाह के दरवाजों पर चांदी के पत्तर व छत पर सोने का मुकुट लगवाया था। यह आज भी प्रमाण के रूप में मौजूद है। हाजी साहब के जीवन पर लिखी पुस्तक सफरनामा वारिस पाक में जिक्र मिलता है कि वारिस पाक को जर्मनी के सफर पर वहां के प्रधानमंत्री ओटो बिस्मार्क ने मेहमान बनाया था। रूस की शाही वंश की राजकुमारी जूफा, लंदन की महारानी विक्टोरिया ने हाजी वारिस अली शाह की शिक्षिओं से प्रभावित होकर सम्मान किया था।
आज उसी पर कुछ अनुयायियों द्वरा कुछ ऐसे चौकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं, जिस पर सायद यकीन करना मुश्किल होगा ,लेकिन कुछ पेपर सक्षयों आधार पर कहीं ना कहीं यह सत्य होता दिखाई दे रहा है।
बाबा हाजी वारिस अली शाह मसोलनी ट्रष्ट ….
कुछ अनुयायियों का कहना है, की विगत कुछ वर्षों से बाबा हाजी वारिस अली शाह को लेकर वर्तमान टरष्टी द्वरा मैनेजमेंट सिस्टम में मनमानी धांधली की जा रही है, जिससे काफी त्रुटियां निकल कर सामने आ रही है,जिस पर कुछ अनुयायियों द्वरा सवाल उठाए जाने पर जिले में जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारी यों द्वरा फर्जी अभियोग पंजीकृत करवा कर ,, कोर्ट द्वारा नोटिस भेज कर उनकी आवाजों को दबाया जा रहा जो की एक गम्भीर बिषय है।
कुछ अनुयायियों का आरोप है!
राजा पंचम सिंह का अपमान किया जा रहा है !
★ बाबू कन्हैया लाल एडवोकेट राजा पंचम सिंह और अवघट शाह साहब ट्रष्ट के टरष्टी थे जिन्होंने ट्रष्ट की भूमिका निभाया है, फैजू शाह साहब मुख्य सेवादारी की भूमिका निभाया जो सब उक्त शिष्य एवं अनुयायियों में थे जिनको ट्रष्ट की भागीदारी एवं सेवा में प्रथमिकता थी जो वर्तमान में समाप्त कर दी गई है।
★ इंडियन ट्रस्ट एक्ट के अंतर्गत हाजी वारिस अली शाह मसोलियम ट्रस्ट की स्थापना में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को कभी नहीं अपनाया गया !
★ हाजी अली वारिस शाह मसोलियम ट्रष्ट की स्थापना 1917 ईस्वी में हो चुकी थी जो इंटर रिलिजस प्रकृति का ट्रस्ट है, उक्त परंपरा के शिष्यजन और गुरु वस्त्र धारण किए हुए अनुयायी जन थे और हैं, उनको पात्रता और प्रथमिकता के आधार पर दरगगह की सेवादारी एवं उक्त ट्रष्ट के प्रशाशन का अधिकार दिया जाता था जबकि उनके अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं, बल्कि उनको दरगगह परिसर से खदेड़ कर अपमानित किया जा रहा है।
★ UP वक्फ त्रिवियुनल द्वरा पारित आदेश दिनाँक 26 मार्च 2021 को अंतिम आदेश निर्णय है, जो की उक्त निर्णय की उपेक्षा एवं उल्लंघन किया जा रहा है।

उक्त दरगाह में जन तीर्थयात्रियों व श्रद्धालुओं द्वरा करोणों अरबों रुपये का चढ़ावा चढ़ते हैं, खरबों रुपए की मलियत की अचल संपत्ति है, जिनका दुरपयोग वर्तमान टरष्टी मैनेजमेंट प्रबंधन द्वरा मनमाने तरीके से होता आ रहा है, अपने कर्तब्यों का निर्वहन स्कीम मैनेजमेंट 1917 अधीन होना चाहिए जो की नहीं किया जा रहा है, वहीं चुनावी नियमावली का उल्लंघन भी किया जा रहा है,,कुछ अनुयायियों कहना है, ऐसे में इतनी भारी भरकम रकम का अगर उचित देख रेख में न हो तो कहीं ना कहीं दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है।
★ स्कीम मैनेजमेंट 1917 नियमावली जिसमें ट्रष्ट के अनुयायियों द्वरा चुनाव होना चाहिए जिसमें ऐसा ना होकर एक ही परिवार के लोग कब्जा जमाकर बैठे हुए हुए हैं,, जिससे साफ जाहिर होता है , वहाँ परिवारवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।
अनुयायियों के उक्त आरोपों पर ध्यान देने से यह स्पष्ट सिद्ध होता है, हाजी वारिस अली शाह मसोलियम ट्रष्ट में पुराने सेवक सेवादारों को अपमानित किया जा रहा है, उनके ऐहराम को उतारा जा रहा है,, परिवार वाद वंशवाद को बढ़ावा देकर एकल व्यवस्था लागू किया जा रहा जिसको इस्लामीकरण कहा जा सकता है।
■ कोर्ट के आदेशों उल्लंघन से यह ज्ञात होता है,, वर्तमान प्रबंधन में दहशत गुंडागर्दी बोलबाला है,,
जैसा कि कुछ अनुयायियों के साथ मुकदमा पंजीकृत करना मानहानि से सम्बंधित नोटिस भेजने से यह भी स्प्ष्ट होता है, की वर्तमान टरष्टी द्वरा बलपूर्वक आवज़ को भी दबाया जा रहा है।
वर्तमान सरकार को ऐसे विषयों पर गम्भीरता ध्यान देते हुए जांच करवाकर दोषियों पर न्यायोचित कार्यवाही करनी चाहिए ताकि आपसी प्रेम भाई चारा बना रहे साथ ही एक पवित्र स्थान को कलंकित होने से रोका जा सके!
नोट;-
उपरोक्त खबर का उद्देश्य किसी धर्म व संस्था के भावनाओं को आहत न करते हुए कुछ तथ्यों आधार पर संकलन की गई है,, …..आगे पढ़ते रहिए ग्लोबल टाइम्स 7 न्यूज नेटवर्क हर कदम सच के साथ… संजय सिंह