श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है-सन्त शिरोमणि !

जीटी-70022 ओम कैलाश राजपूत फफूँद संवाददाता।
24 मार्च 2023
#फफूंँद,औरैया।
थाना क्षेत्र के ककोर मार्ग पर स्थित ग्राम जैतपुर में महामाया मंगलाकाली मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को कथा वाचक भागवताचार्य संन्त शिरोमणी अक्षयानंन्द महाराज (हरिद्वार, उत्तराखण्ड) वालों ने भक्तों को कथा का रसपान कराया।

आचार्य ने कहा कि, श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। यह कल्पवृक्ष के समान है। इसके लिए मनुष्य को निर्मल भाव से कथा सुनने और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। कथा व्यास ने कहा कि,भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण है और जो कृष्ण है, वही साक्षात भागवत है।भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। भागवत की महिमा सुनाते हुए कहा कि,एक बार नारद जी ने चारों धाम की यात्रा की लेकिन उनके मन को शांति नहीं हुई। नारद जी वृंदावन धाम की ओर जा रहे थे।तभी उन्होंने देखा कि एक सुंदर युवती की गोद में दो बुजुर्ग लेटे हुए थे,जो अचेत थे। युवती बोली महाराज मेरा नाम भक्ति है। यह दोनों मेरे पुत्र हैं, जिनके नाम ज्ञान और वैराग्य है। यह वृंदावन में दर्शन करने जा रहे थे।लेकिन बृज में प्रवेश करते ही यह दोनों अचेत हो गये। बूढे़ हो गये, आप इन्हें जगा दीजिए। इसके बाद देवर्षि नारद जी ने चारों वेद, छहों शास्त्र और 18 पुराण व गीता पाठ भी सुना दिया। लेकिन वह नहीं जागे। नारद ने यह समस्या मुनियों के समक्ष रखी। ज्ञान,वैराग्य को जगाने का उपाय पूछा। मुनियों के बताने पर नारद जी ने हरिद्वार धाम में आनंद नामक तट पर भागवत कथा का आयोजन किया। मुनि कथा व्यास और नारद जी मुख्य परीक्षित बने। इससे ज्ञान और वैराग्य प्रथम दिवस की ही कथा सुनकर जाग गए। उन्होंने कहा कि,गलती करने के बाद क्षमा मांगना मनुष्य का गुण है, लेकिन जो दूसरे की गलती को बिना द्वेष के क्षमा कर दे,वो मनुष्य महात्मा होता है। जिसके जीवन में श्रीमद्भागवत की बूंद पड़ी, उसके हृदय में आनंद ही आनंद होता है। भागवत को आत्मसात करने से ही भारतीय संस्कृति की रक्षा हो सकती है। भगवान को कहीं खोजने की जरूरत नहीं,वह हम सबके हृदय में मौजूद हैं। अगर जरूरत है तो सिर्फ महसूस करने की।श्रीमद् भागवत कथा में दूसरे दिन बड़ी संख्या में महिला-पुरूष कथा सुनने पहुंचे।