जड़ भरत की कथा सुन श्रोता गण हुए मंत्रमुग्ध

ग्लोबल टाइम्स 7 न्यूज़ नेटवर्क रिपोर्ट
संजीव भदौरिया
लखना बकेबर
(इटावा) श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन पं. सन्तोष शास्त्री जी ने जड़ भरत जी की कथा परिक्षित रामलखन तिवारी व माया देवी को श्रवण कराते हुए कहा
जड़ भरत जी का अगला जन्म आंगिरस गोत्र ब्राह्मण के घर हुआ। ये बड़े ही श्रेष्ठ ब्राह्मण थे। इनकी बड़ी स्त्री से इनके 9 पुत्र हुए और छोटी पत्नी से एक ही साथ एक पुत्र और एक कन्या का जन्म हुआ। इस जन्म में भी भगवान की कृपा से इन्हें अपने पूर्वजन्म का स्मरण बना हुआ था।पिता पौरोहित्य कार्य में थे तो सोचा अपने छोटे पुत्र को ही पौरोहित्य कर्म सिखाऊंगा। इधर भरत जी ने सोचा एक जन्म के बिगड़ने से मुझे 3 जन्म लेना पड़ा। इसलिए अब वह गलती हम दोबारा नहीं करेंगे, पिता इन्हें वेद, शास्त्र सिखाते लेकिन ये जान बुझ कर सीखते नही थे। क्योंकि अगर मैंने ये सब सिख लिए तो मुझे कर्म कांड करने पड़ेंगे और मैं फिर संसार में फंस जाऊंगा। इन्होंने जान बुझ कर एक मन्त्र भी याद नही किया। कोई कह भी नही सकता था ये की ये वही ज्ञानी भरत है जो सब कुछ छोड़कर भगवान के भजन करने के लिए वन में गए थे।कथा श्रवण करने वालों में श्रीकृष्ण बाबू तिवारी, श्रवण कुमार तिवारी, शैलेंद्र मोहन, डॉ. गोविंद मोहन, अश्वनी त्रिपाठी,पवन तिवारी, राम मिश्रा ओमशंकर शुक्ला सहित बड़ी शंख्या में भक्त मौजूद रहे।