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सतगुरु के बिना निरंकार का ज्ञान असंभव _ महात्मा धन बहादुर थापा

ग्लोबल टाइम्स-7
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न्यूज नेटवर्क
अनूप गौङ
जिला संवाददाता
कानपुर देहात
भोगनीपुर

नेपाल देश के ब्रह्मज्ञानी महात्मा धन बहादुर थापा ने कहा कि सद्गुरु के बिना निरंकार का ज्ञान निरंकार की जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती पूर्ण सद्गुरु हमारे सभी भ्रम भुलेखे निकालकर एक पल में इस निरंकार के दर्शन करवा देते हैं ।
महात्मा थापा शुक्रवार को संतु भवन भोगनीपुर में निरंकारी आध्यात्मिक सत्संग समारोह को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि जिसके मन के अंदर थोड़ा सा भी अभिमान आ जाता है वह सतगुरु की रहमतओं से वंचित रह जाता है । इसीलिए सबसे पहले इस अभिमान का त्याग करने के लिए हमें सतगुरु की शरण में जाना चाहिए । समय-समय पर सद्गुरु द्वारा हमें न केवल इस ब्रह्म ज्ञान की दाता दी गई बल्कि यह भी समझाया एवं सीख लाया गया कि ब्रह्म ज्ञान लेने के पश्चात हमने किस प्रकार से और कैसे जीना है । कैसे इस निरंकार को अपने अंग संग महसूस करते हुए सदगुरू के हर वचन को मानते चले जाना है सतगुरु द्वारा बताया सरल उपाय प्राणों का मानना है सतगुरु की कृपा से हम इस अभिमान रूपी विकार को नम्रता में तब्दील कर भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ते चले जाएं
इस मै को तू में अ हम को विनम्रता में तब्दील करके खुद भी शीतल रहना है और दूसरों को भी शीतलता प्रदान करनी है ।
धन बहादुर थापा ने कहा कि संत रविदास जी आराम से ही परोपकारी और बहुत स्वभाव दयालु के थे दूसरों की सहायता करना ही उनका स्वभाव था
इसी प्रकार निरंकारी महात्मा भी दयालु होते हैं और सब की भले की कामना करते हैं । निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी यही संदेश दे रही है कि हमें समभाव में रहकर एकरस हो जाना है इस निरंकार को अगशंग देखकर इसकी भक्ति करना है । निरंकार के भय में रहना है उन्होंने कहा कि मालिक जो चाहे कर सकता है लेकिन यह भी समझने की वास्तविकता में सुख है क्या हम जिसे सुख समझ बैठे हैं यह तो हमारी लालसा है । किसी लालसा की पूर्ति से प्राप्त होने वाला सुख ऐसा ही है जैसे कि एक रात की नींद जिस प्रकार रात की नींद के बाद सुबह फिर काम शुरू हो जाता है ।उसी प्रकार एक लालसा की पूर्ति के बाद दूसरी लालसा सफर शुरू हो जाता है । सतगुरु इन सब से मुक्ति दिला देता है ब्रह्म ज्ञान देकर भूल बुलाओगे से परे कर देता है । निरंकारी मिशन में महापुरुष एक दूसरे की सेवा करते हुए इसके साए में रहकर भक्ति करते हुए अपने जीवन व्यतीत करते हैं । हमें सद्गुरु को रीजाना आ जाए तो हमारी भक्ति सफल हो जाती है । सतगुरु कि हां मैं हां सद्गुरु के ना मै ना ।ही पूर्ण भक्ति होती है। इस प्रकार सभी महापुरुष साधु जन निरंकार को अंग संग देखकर भक्ति करने में आनंद है । निरंकारी आध्यात्मिक सत्संग में विनीत कुमार चेतन दास संजय जमील खान बाना साहब रमेश बीके यादव लक्ष्मी नारायण विनोद गुड्डन उमा बेबी राधा राजा भाई उर्मिला बहन अलका जूली महात्मा उपस्थित थे सत्संग के बाद लंगर का भी आयोजन किया गया जिसमें लोगों ने बैंठ कर प़साद पाया

Global Times 7

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