निरंकारी मिशन निराकार प्रभु को देखकर भक्ति करने की दे रहा है सीख __ महात्मा सुशील पुरी

ग्लोबल टाइम्स-7
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न्यूज नेटवर्क
अनूप गौङ
जिला प़शासनिक संवाददाता
कानपुर देहात
सिकंदरा कानपुर देहात संत निरंकारी मिशन कानपुर जोन के जोनल इंचार्ज महात्मा सुशील पुरी ने कहा कि निरंकारी मिशन निराकार प्रभु परमात्मा को देखकर भक्ति करने किसे दे रहा है lजब भक्त और भगवान आमने सामने होते हैं तो भक्ति परवान होती है वह भक्ति का पूरा आनंद भी प्राप्त होता हैl महात्मा सुशील पूरी रविवार को सिकंदरा के महमूदपुर में विशाल निरंकारी आध्यात्मिक सत्संग को संबोधित कर रहे थे l उन्होंने कहा कि भक्तों की आस्था और भक्ति का प्रारंभ सतगुरु के चरणों में समर्पण से होता है ।समर्पण से गुरसिख के जीवन में तप त्याग और सतगुरु की शुरुआत होती है ।भक्त सदेव समर्पण की ही कामना करता है।
उन्होंने कहा कि जब एक भक्त अपने आप को निमाड़ा मानते हुए भक्ति करता है मर्यादा अनुशासन में रहकर सेवा सिमरन व सत्संग करता है विनम्र भाव से प्रभु का यशोगान करता है तब ऐसे गुरसिख को को सद्गुरु सर्वोपरि स्थान देकर उसे यश कीरत का पात्र बनाते हैं ।इतिहास में तमाम ऐसे नाम आते हैं चाहे वह तपस्विनी शबरी हो सेवा के पुंज हनुमान हो परम भक्त केवट हो चाहे भक्त प्रहलाद हो। इन भक्तों ने स्वयं को निमाड़ा मानकर सेवा की भक्ति की और प्रभु ने उन्हें सबसे ऊंचा बना दिया ।
जो गुरसिख किंतु परंतु को एक तरफ करते हुए पार ब्रह्म पर पूर्ण विश्वास करके सतगुरु के हर हुकम को निस्वार्थ भाव से पालन करते हुए सब वचन करता चला जाता है वह सतगुरु की दरगाह में परवान होता है।
निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी कहती हैं कि समर्पण प्रेम है जो गहराई में जाने पर रहमतों के अनमोल मोती प्रदान करता है। महात्मा ने कहा कि मानव जीवन में अगर साकार ना मिलता तो निराकार भी नहीं मिलता जो पहले साकार को नमन फिर निराकार का बंदन करता है वही भक्ति स्वीकार होती है ।पहले प्रभु को जानो फिर मानो प्रभु की जानकारी से ही आत्मा का कल्याण होना है। जन्म मरण के चक्र से मुक्ति का बस यही एक साधन है ।संसार में सबसे बड़ा धर्म मानव धर्म है मानवता से ही हर मानव की पहचान होती है। इसीलिए हमें अपने जीवन में मानव मूल्यों को अपनाना होगा। प्रेम एकता मिल बर्तन सहनशीलता विशालता दया करुणा सेवा और सत्कार जैसे दिव्य गुणों से युक्त मानव जीवन से ही संसार की सुंदरता है ।यदि मानव मन सुंदर होगा तभी मानव जीवन भी सुंदर होगा ।महात्मा संजय ने कहा कि प्यार की सच्ची दौलत मिल जाए तो जीवन खुशियों से भर जाता है इस दुनिया में रहने वालों में अगर प्यार ही ना हो तो जीवन में लीन हो जाता है । महात्मा ने कहा कि गुरु की महिमा अनंत है बिना गुरु के ईश्वर का ज्ञान किसी तरह भी संभव नहीं है ।जिनको हम भगवान मानते हैं उन्होंने भी गुरु की शरण ग्रहण की है श्री राम जी ने श्री वशिष्ठ जी गुरु , श्री कृष्ण जी के गुरु संदीपन जी वशिष्ठ पुराण में श्री रामचंद्र जी अपने अनेक शंकाएं श्री वशिष्ठ जी के सामने रखते हैं और वशिष्ट जी उनका उत्तर देते हैं ।तीर्थों पर जाने से केवल तीर्थ जाने का फल प्राप्त होता है लेकिन संत के मिलाप से धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चारों फलों की प्राप्ति होती है । धर्म का अर्थ धारण करना है काम का अर्थ कामना आ और अर्थ मुक्ति आजादी के चारों फल संत के मिलाप से प्राप्त होते हैं ।मगर सद्गुरु के मिलाप से अनगिनत फल प्राप्त होते हैं ।
निरंकारी महात्मा हरबंस सिंह ने कहा कि इसके संपूर्ण काम कामना और संकल्प रहित है उस ज्ञान रूपी अग्नि द्वारा भस्म हुए कर्मों वाले व्यक्ति को वास्तविकता में पूर्ण संत अथवा पूर्ण महात्मा कहा जाता है ।ऐसी अवस्था जाने के बाद शारीरिक सुख दुख विषय वासना हर्ष शोक राग द्वेष आदि व्याकुल नहीं करते ।ऐसे महापुरुष या संत की एक विशेषता यह है कि उनके साथ कोई भी स्त्री पुरुष बच्चा बूढ़ा धनी निर्धन जाति किसी भी धर्म मजहब को मानने वाला अथवा पाप कर्म करने वाला इंसान भी मिल जाए तो उसको भी ऐसी ही अवस्था सहज में ही प्राप्त हो जाती है ।उन्होंने कहा कि ब्रह्म ज्ञान वह है जिसे जानने के बाद कुछ और जानना शेष नहीं रहता ।यह सब विद्ओं का राजा है । ब्रह्म ज्ञान अति उत्तम अति पवित्र प्रत्यक्ष फल देने वाला धर्म साधन करने में बड़ा शुलभ व अविनाशी है ।इस परब्रह्मा को जानकर मनुष्य जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है ।उसके सिवाय परम पद मोक्ष की प्राप्ति के लिए कोई अन्य मार्ग या उपाय नहींहै ।ब्रह्म ज्ञान से मनुष्य परमात्मा का साक्षात्कार सभी दुखों से मुक्त हो जाता है ब्रह्म ज्ञान प्रदान करने वाला शब्द गुरु साक्षात परमेश्वर है ।
उन्होंने कहा कि ब्रह्म ज्ञान प्राप्त के बाद सभी भ्रम भोलेखे भ्रम समाप्त हो जाते हैं ।उन्होंने कहा कि निरंकारी मिशन में नम्रता और सहनशीलता मानव के बहुत बड़े गुण होते हैं उन्होंने कहा कि मनुष्य का जन्म इसलिए हुआ है कि ऊपर उठ नीचे गिरने के लिए तेरा जन्म नहीं है । और आगे बढ़ना मानव जीवन का लक्ष्य जब तक मनुष्य अज्ञान व स्वयं को शरीर मानता है वह अपना सुख भौतिक जगत में ढूंढता है और शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति में ही लगा रहता है। किंतु शांति और सुख तो दूर हुए और अधिकu अशांत हो जाता है जब जीवन में निराकार मिल जाता है तो सभी प्रकार की भ्रांतियां समाप्त हो जाती है ।पूरण सतगुरु मिल जाता है तो सब कुछ प्राप्त हो जाता है । सत्संग समारोह में सुशील पुरी के अलावा जी एस बिंद्रा रामकुमार वर्मा आर पी वर्मा संतोष गुप्ता सोनिया मारवाह ज्योति विरमानी शिखा ढींगरा राम चंद्र शास्त्री यशोदा नंदन सोनी सुखनंदन राजपूत संतोष गुप्ता बेबी आदि उपस्थित थे