बाहरमपुर पंचायत सचिवालय बना स्वयं तबेला,महिनों से पंचायत कर्मी हैं लापता!

लापरवाहियों का आलम एवं खुलेआम व्याप्त अनदेखी –
पंचायत कर्मी ब्लाक कार्यालयों में ही बैठे बैठे करते हैं अपनी हाजिरी पूरी,रोस्टर का नहीं लिया आज तक कोई संज्ञान, ग्रामीणों ने लगाये आरोप !
चौबेपुर बीडीओ एसएन कश्यप बोले क्लस्टर था विवादित,इसीलिये पंचायत कर्मी आज तक नहीं पहुंचे सचिवालय,जानकारी हमें पहले से है प्राप्त !
ग्लोबल टाइम्स-7
न्यूज नेटवर्क
लखनऊ उत्तर प्रदेश
ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के लाभ पहुचाने के साथ गांव के विकास की योजनाओं पर जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से सीधे संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से गांव गांव बनवाये गये ग्राम सचिवालय आज अपनी बदहालियों पर आंशू बहाने पर मजबूर हो कर निरंतर उपेक्षाओं का शिकार हो रहें हैं । जहां कहीं कही देखने में आया कि गांवों में पंचायत सचिवालय सिर्फ नाम के ही साबित हो रहें हैं, अर्थात गांवों में तैनात अन्य कर्मियों ने महिनों से पंचायत सचिवों सहित अन्य पंचायत कर्मियों ने आज तक दर्शन तक ही न दिये हो। मानौ जैसे उन्हें अपनी जिम्मेदारियों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।
जिसके कारण पंचायत सचिवालयों में अन्ना पशुओं का अड्डा व गांव के सरकारी दफ्तर आज तबेला बनते हुए खुलेआम दिखाई दे रहे हैं जहां जिलों के जिम्मेदार अधिकारियों की असीम कृपा से पंचायत सचिवालयों में तैनात पंचायत कर्मी ब्लाकों तक सीमित रहते हुए अपनी ड्यूटी का कोरम पूरा करने में मस्त हैं और खुलेआम मौज मस्ती काट रहे हैं । और हालात तो यहां तक है कि ग्राम पंचायतों में बने रोस्टर चार्ट के मुताबिक पंचायत स्तरीय अधिकारियों व कर्मचारियों यथा पंचायत सचिव, लेखपाल, पंचायत सहायक, आशा बहू, आंगनबाड़ी केंद्र, रोजगार सेवक आदि के बैठने व आने का महिनों से इंतजार करते हुए दिखाई पड़ रहें ।
मालूम हो कि पंचायती राज व्यवस्था के तहत गांवों में निर्मित सचिवालयों में निर्धारित रोस्टर समय सारणी के अनुसार बैठक कर गांवों की समस्याओ का समाधान व निस्तारण किये जाने का सख्त निर्देश डीपीआरओ कार्यालय द्वारा पूर्व से ही जारी किये जा चुके हैं लेकिन पंचायत कर्मियों द्वारा उन आदर्शों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए दिखाई पड़ रहें हैं।
सरकार भेज रही विकास कार्यों में खूब अनाप शनाप पैसा, जमीन आते ही हो रहा ख़ाक!
योगी सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों, देख रेख, व रख रखाव इत्यादि के लिए खूब पैसा भेजा जा रहा है , लेकिन हालात यह है कि कमीशन खोरी व दलालों की सेटिंग के चलते पानी फिर रहा है और जिम्मेदार कुंभ करणी निद्रा में लीन बैठें हैं ।
चौबेपुर बाहरमपुर पंचायत सचिवालय में महिनों से लापता पंचायत कर्मी, सचिवालय बना तबेला!
जनपद के विकास खण्ड चौबेपुर के ग्राम पंचायत बाहरमपुर
में वर्षो पहले बनवाया गया पंचायत भवन जिम्मेदार लोगों की अंदेखियों के आलम अंधेर में तबेला बनता नजर आ रहा है,
ग्राम पंचायत के लोगों को सरकार के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न प्रकार की योजनाओं के साथ ग्राम सभा में होने वाले विकास कार्य सहित कर्मचारियों से जनता को मिलने तथा कर्मचारियों को ठहरने की व्यवस्था के लिए सरकार ने लाखों रुपये की लागत से ग्राम स्तर पर सचिवालय भवन का निर्माण करवाया था, सचिवालय बनाने के बाद आज तक कभी भी ग्राम पंचायत अधिकारी, लेखपाल रोजगार सेवक, पंचायत सहायक आदि स्थायी तौर से कभी बैठे नहीं देखे गए, हालात यह है कि देखरेख के अभाव में सचिवालय भवन का मुख्य गेट तो है मगर बाउंड्री गायब है, और परिसर में अन्ना पशुओं के गोबर व जगह जगह भीषण गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। सचिवालय में कमरे के दरवाजे है लेकिन वह भी अन्ना पशुओं के रखवाली की गिरफ्त में हैं, नल तो नही है लेकिन वह भी राम भरोसे ही चल रहा है । खिड़की ही नही है पूरे परिसर में गंदगी का अंबार लगा है, यहां तक की मुख्य दरवाजे के पास ही कांटे दार झाड़ियों ने अपना कब्जा जमा रखा है। जिससे मुख्य दरवाजा झाड़ियों में दब कर तब्दील हो रहा है ।

रंगाई-पुताई का कार्य तो दिखाई दिया लेकिन ढोल के अंदर पूरा पोल ही सिस्टम देखने को मिला व देखरेख न होने से सचिवालय की स्थिति अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है दिखावे के लिए भारी भरकम वाला कुछ इंटरनेट वाईफाई का टावर तो गडा दिखा लेकिन विद्युत कनेक्शन गायब दिखा।
पंचायत सचिवों,ग्राम प्रधानों व अधिकारियों की मिली भगत से कमीशन खोरी के चलते पंचायत सचिवालयों का हो रहा योगीराज में बंटाधार
अब ऐसे में सवाल उठता है कि जहां उत्तर प्रदेश सरकार लाखों करोड़ों रुपए खर्च करती है ग्राम सभा के विकास के लिए कि ग्राम पंचायतों में अच्छा पंचायत भवन बने सामुदायिक शौचालय बने सड़के बने लेकिन यही कुछ लापरवाह अधिकारी व कर्मचारी, ग्राम प्रधानों के चलते विकाश उपेक्षा का शिकार हो जाती है व आपसी मिली भगत से धन का बंदरबांट कर लिया जाता है जबकि भ्रष्टाचार को देख कर अधिकारी अपनी आंखें बंद कर लेते हैं इसलिए ग्राम प्रधानों का मनोबल बढ़ जाता है और वह लगातार भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार करते जाता है अगर कहीं से कोई शिकायत आ भी जाती है तो कार्रवाई के नाम पर लीपापोती कर दी जाती है
क्या ग्रामीणों की समस्याओ को पंचायत सचिवालय में दूर किया जाएगा, याफिर पंचायत सचिवालयों के नाम पर सिर्फ ढिंढोरा ही पीटा जायेगा ।
अब देखना है इस मामले कि जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होती है या नहीं,
अथवा ग्रामीणों को अपनी समस्याओ को लेकर तहसील, ब्लाक, थाना के ही चक्कर लगाने पड़ते रहेंगे, गांव के ही एक ग्रामीण ने नाम न प्रकाशित किये जाने पर बताया कि यहां पर आज तक न तो कोई खुली बैठकें आयोजित की गई है,और नहीं आज तक हमने गांव में तैनात लेखपाल, पंचायत सचिव, व पंचायत सहायक सहित किसी को भी पंचायत सचिवालय में बैठते देखा है, क्योंकि यहां का प्रधान स्वयं अपने घर ही बैठकर कार्रवाहियां पूरी करवाता है ।
ग्रामीणों ने बताया कि जब से सचिवालय गांव में बना है तब से आज तक न तो कोई अधिकारी यहां की स्थिति को देखने आया सिर्फ पंचायत सचिवालय में काम कराने के बाद से कर्मचारी आज तक लापता हैं, अब हम लोगो को गांव में बने सचिवालय से कोई फायदा नहीं है, क्योंकि ब्लाक तहसील के वैसे भी चक्कर लगाते थे और आज वही कार्य कर रहे हैं । यहां पूरी आलम अंधेर ही चल रही है भैया, देखो शायद आपके द्वारा शासन व जिले अधिकारी कुछ जाग उठे, और हम लोगों की समस्याओ को दूर कराने का प्रयास कर सकें ।
बीडीओ बोले क्लस्टर था विवादित,इसीलिये पंचायत कर्मी नहीं पहुंचे, डीपीआरओ ने भी लिया संज्ञान !
पूरे मामले में जब खण्ड विकास अधिकारी चौबेपुर एसएन कश्यप से इस सम्बंध में वात की गई तो उन्होंने बताया कि पूर्व से यहां की समस्याओ के बारे में जानकारी है,दो पहले ही नये सचिव से रिपोर्ट मांगी गई है, यह ग्राम सभा निगोह क्लस्टर में आती है जो उक्त ग्राम सभायें विवादित रहती है, इसलिए यहां ऐसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है, मौके पर निरीक्षण किया हूं उक्त पंचायत भवन की स्थिति खराब है, वहीं पूरे मामले की जानकारी डीपीआरओ कानपुर कमल किशोर से भी साझा कर संज्ञान में लायी जा चुकी है, जांच कर कार्रवाई किये जाने की बात कही है।