दिलीपनगर में गौशाला निर्माण हेतु प्रशासन नहीं ढूंढ पाया कोई जगह पशुओं से क्षेत्रिय खेतिहर किसान हो रहा तबाह !

कड़कड़ाती ठंड व गलन भरी ठंड में रात – रात जागकर मजबूर किसान कर रहे खेतों की रखवाली,तहसील व ब्लाक अधिकारी व कर्मी उड़ा रहे मौजमस्ती!
तहसील,ब्लाक अधिकारियों के कानों तक नहीं रेंग पाई जूं,सिर्फ जारी हो रहे कागजी आदेश व फरमान,आगामी २०२४ में कहीं समस्या न बन जाए नासूर!
ग्लोबल टाइम्स-7
न्यूज नेटवर्क
कानपुर ।
योगीराज में अन्ना पशुओं से निजात दिलाने के लिए गांव गांव गौशालाओं को खुलवाकर भले ही कुछ कार्य किया जा रहा है, और चाहे जितना सरकार बंदोबस्त कर आम जनता को राहत दिलाने का प्रयास कर रही है, लेकिन अफसोस जमीन पर समस्याओं के नाम पर सिर्फ खानापूर्तियां होती ही देखी जा सकती है।
आमतौर पर
यदि जहां कहीं भी बृहद, स्थाई व अस्थाई गौशालाओं का निर्माण कार्य कराया गया तो वहां आज अन्ना पशुओं की संख्या के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हो रही है,और ऊपर से नीचे तक गौशालाओं के नाम पर आने वाले सरकारी धनराशि की सिर्फ कमीशन खोरी व बंदरबांट तक ही सिमट कर जाता है, जो जग जाहिर है, गौशालाओं के नाम पर खर्च लाखों, करोड़ों का सिर्फ ढिंढोरा ही पीट दिया जाता है,
शासन के मंशानुरूप तो जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा तो आज कल गांव गांव गौशालाओं को खुलवाकर एड़ी चोटी का पसीना बहा कर नित नए फरमान भी जारी किए रहे हैं लेकिन उनके आदेश को मातहत एक रद्दी की टोकरी व झोली तक ही सीमित रख देते हैं, जिसका खामियाजा आमजनता व किसानों को भुगतना पड़ रहा है,
हालात यह कि ढाक के तीन पात, और अन्ना मवेशियों के झुंडों का बोलबाला इन दिनों खेतों,गांवों व सड़कों पर खुलेआम देखने को मिल रहा है लेकिन जनपद, तहसील ब्लाकों आदि के किसी भी अधिकारी व कर्मचारी द्वारा कोई भी कारगर कदम नहीं उठाए जा सके और नहीं कानों में कोई जूं तक रेंगती दिखाई पड़ रही है, और महंगी खाद बीज इसके अलावा अन्ना पशुओं की मार से अन्ना दाता की हालात दिनोदिन बदतर होती जा रही है, यदि जल्द ही सरकार द्वारा कोई बंदोबस्त नहीं किया तो इन सभी समस्याओ का खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है ।
तहसील व ब्लाक अधिकारियों को नहीं मिल सकी आज दिलीपनगर गांव में भूमि,नहीं हो सका निर्माण कार्य व अधर में लटकी गौशाला !
जैसा कि प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों के वक्तव्य के मुताबिक अक्सर प्रतिक्रियाएं दी जा रही है, कि गौशाला निर्माण कार्य युद्धस्तर पर जारी है, लेकिन जमीनी सच्चाईयां कुछ और ही सामने आती हैं। एडिओ पंचायत सुरेश कुमार के मुताबिक
जनपद के बिल्हौर तहसील के विकास खंड शिवराजपुर की न्याय पंचायत व ग्राम पंचायतों में इन दिनों गांव गांव खूब गौशाला खुल रही है, और बृहद गौशाला का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, और क्या चाहिए? ऐसे में सवाल खड़ा हो जाता है
कि विकास खंड के गांव गांव गौशालाओं का निर्माण कार्य ग्राम पंचायत करा रही है तो विकास से अछूती एक बृहद न्याय पंचायत दिलीप नगर में भी जिला प्रशासन द्वारा एक बृहद गौशाला निर्माण कार्य कराये जाने हेतु फरमान जारी कर आदेश पारित किया गया था, लेकिन अफसोस आज तक तहसील प्रशासन राजस्व विभाग बिल्हौर व क्षेत्रिय लेखपालों को गांव में गौशाला निर्माण कार्य कराये जाने हेतु भूमि ही नहीं दिखाई पड़ सकी, और तो और पंचायत में गौशाला खुलने सम्वंधित पंचायत सचिव को जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए निर्देशों का गौशाला खुलने से विषय पर कोई जानकारी ही नहीं प्राप्त हो सकी ,जो बहुत ही अचम्भित व आश्चर्यजनक बातें सामने आ रही है,ग्राम सभा से जुड़े करीब आधा सैकड़ा गांव व मजरे के लोगों का मानना है कि यदि न्याय पंचायत व ग्राम सभा दिलीप नगर में गौशाला खुल जाती तो आम जनता व सैकड़ों किसानों को काफी राहत मिल सकती थी,लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाहियों के चलते यह कार्य मुमकिन नहीं हो सका, जिसका खामियाजा आमजनता व किसानों को भुगतना पड़ रहा है, जहां आज सैकड़ों किसान अपनी फसलों को अन्ना पशुओं से बचाव करने के लिए रात रात भर जागकर अपने खेतों की रखवाली करने पर विवश हैं ।
कहीं आगामी २०२४ में समस्या न बन जाए नासूर,गौशालाओं के शुभारंभ करने में सांसद विधायक सिर्फ काट रहे फीते !
अब सवाल यह उठता है कि यदि गांव गांव गौशालाओं का निर्माण कार्य कराया जा रहा है तो इस न्याय पंचायत व ग्राम पंचायत में आखिर क्यों नहीं कोई बृहद गौशाला आज तक बनवाई जा सकी है, और यह भी देखा जा रहा है कि सांसद विधायक मंत्री नेता भी गौशालाओं के निर्माण कार्य हेतु निरंतर फीते काट कर शुभारंभ भी कर रहे हैं, लेकिन इस ग्राम सभा में गौशाला खुलने हेतु कोई ठोस व कारगार कदम क्यों नहीं जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाया गया,जोकि एक बड़ा सवाल उठता है, कहीं एक ओर जनप्रतिनिधियों के लिए क्षेत्रिय किसानों की ओर से एक चैलेंज भी न २०२४ में साबित हो जाए । जिसका खामियाजा सरकार व प्रशासन को भुगतना पड़ जाए ।