2022-की वे तारीखें जो बन गई इतिहास , अदम जी के रचनाओँ को मिला सम्मान !

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अदम जी के परिवार के तरफ से आप सभी के सम्मान में दिलीप गोंडवी के दो शब्द !
आप सभी सम्मानित मित्रो को हार्दिक धन्यवाद हार्दिक आभार हार्दिक सादर प्रणाम
और मेरे घनघोर विरोधियो को हार्दिक धन्यवाद हार्दिक आभार हार्दिक सादर प्रणाम
आप सभी सम्मानित मित्रो के आशीर्वाद से ही पुरे देश में सम्मान मिल रहा है
मेरे लिए सौभाग्य की बात है और ये सौभाग्य मुझे आप सभी के प्यार और आशीर्वाद के कारण प्राप्त हो रहा है आप अपना आशीर्वाद और प्यार युही मुझ पर बनाये रखे ,
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं हार्दिक बधाई , इस अवसर पर हिन्दी के प्रति संकल्प करें कि हम अपने दैनिक कार्यो में अधिक से अधिक हिन्दी का प्रयोग करेंगे। जो बंधु हिन्दी को रोमन लिपि में लिखते हैं उनसे अनुरोध है कि वे हिन्दी को देवनागरी में स्वयं और अपने अन्य साथियों को भी लिखने को प्रेरित करें।

हिन्दी को रोमन में लिखने का अर्थ है हिन्दी को विषपान कराना। हिंदी को स्वंय अपनाएं और दूसरों को भी अपनाने का आग्रह करें।
भगवान पूर्व जिलाधिकारी श्री रामबहादुर जी,
भगवान पूर्व जिलाधिकारी श्री वीरेन्द्र कुमार सिंह जी,
लखनऊ से प्रकाशित ‘शब्दसत्ता’ पत्रिका की ओर से हिन्दी के अग्रणी जनकवि श्री राम नाथ सिंह उर्फ अदम गोंडवी जी की स्मृति में एक विशेषांक का प्रकाशन किया गया है। दिनांक-22 अक्टूबर 2022 को शब्दसत्ता- सुशील सीतापुरी जी को हार्दिक धन्यवाद हार्दिक आभार

दिलीप कुमार सिंह दिलीप गोंडवी
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे नजर है,
आँखो ने कभी मील का पत्थर नही देखा,
फटे कपड़ों में तन ढांके गुज़रता हो जहाँ कोई,
समझ लेना वो पगडंडी अदम के गांव जाती है,
मेरे पास उपार्जित धन से ज्यादा, बनाये हुए रिश्ते, सम्पर्क और स्नेह की अमूल्य पूंजी है ,मैंने अधिक धन की तुलना में अच्छे रिश्ते और अच्छे संबंध कमाए हैं। धन खर्च हो जाता हैं लेकिन संबंध और रिश्ते कभी नहीं। वे हरदम मेरे साथ थे है और रहेंगे,ऐसे सभी स्नेहपूर्ण रिश्तों और संबंधों की दौलत का हर बार की तरह पुनः नमन करता हूं, वन्दन करता हूँ।

आप का साथ और स्नेह बना रहे, यही आकांक्षा है,माता-पिता और गुरु के अलावा किसी को रति भर की भी फिक्र नही है कि तुम्हारे भविष्य का क्या होगा,
जिस दिन मुझे अपने नाम की विजिटिंग कार्ड छपवाने की जरूरत पड़ेगा उसी दिन मैं समझूंगा कि मैं अब सफलता की राह पे चल रहा हूँ, मैं शुक्रगुजार हूँ उन तमाम लोगों का जिन्होंने बुरे वक्त में मेरा साथ छोड़ दिया क्योंकि उन्हें भरोसा था कि मैं मुसीबतों से अकेले ही निपट सकता हूँ ,एक बात तो तय है कि सफल होने के लिए अच्छे मित्रों की आवश्यकता पड़ती है,,

लेकिन सर्वोच्च सफलता प्राप्त करने के लिए एक अच्छे दुश्मनों की आवश्यकता पड़ती है, हमेशा जीतने वाला ही नहीं, बल्कि कभी-कभी कहाँ पर हारना है, ये जानने वाला ही महान बनने के काबिल होता है,मेरी परीक्षा खत्म हुई, अब शुरू होगा छात्रों से मिलने का सिलसिला,छात्रों अपनी अपनी समस्याओं को एक संगठित प्रयास से सरकार तक पहुँचाना बेहद ज़रूरी है और इस लड़ाई में मैं आपके साथ हर कदम पर खड़ा हूँ।
छात्र से मिलकर अब आवाज उठाने का वक्त है,
जय हिंद
नाम – श्री राम नाथ सिंह जी (श्री अदम गोंडवी जी)
जन्म – 22, अक्टूबर 1947 ई.
जन्म भूमि – आंटा पूरे गजराज सिंह परसपुर जिला- गोण्डा उत्तर प्रदेश-271504/
पुण्य तिथि – 18- दिसंबर, 2011 ई.
पिता – श्री देवकली सिंह जी
माता – मांडवी सिंह जी
राजधानी – उत्तर प्रदेश,
उत्तराधिकारी – दिलीप कुमार सिंह” दिलीप गोंडवी”
श्रीमती कमल देवी जी, अदम गोंडवी जी की पत्नी,
श्री आलोक कुमार सिंह जी, अदम गोंडवी जी के पुत्र,
अदम गोंडवी जी के परिवार की ओर से

जो सुख में साथ दे वो रिश्ते होते है और जो दुःख में साथ दे वो फ़रिश्ते होते है,मेरे आस पास मेरे सभी फरिश्ते, जिन्होंने मेरा मेरे बुरे वक्त मे साथ दिया, सबका तहे दिल से हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ हार्दिक शुक्रिया हार्दिक धन्यवाद हार्दिक सादर प्रणाम ,
अदम जी कुछ ऐसे ही अपने काव्य रचनाओं से कृतियों को उजागर करते रहे जीवन का अंतिम सफर में भी शोषित वंचितों के आवाजों को कविताओं पिरोते रहे !
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मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे
मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे ।
हम अपने इस कालखण्ड का एक नया इतिहास लिखेंगे ।
सदियों से जो रहे उपेक्षित श्रीमन्तों के हरम सजाकर,
उन दलितों की करुण कहानी मुद्रा से रैदास लिखेंगे ।
प्रेमचन्द की रचनाओं को एक सिरे से खारिज़ करके,
ये ‘ओशो’ के अनुयायी हैं, कामसूत्र पर भाष लिखेंगे ।
एक अलग ही छवि बनती है परम्परा भंजक होने से,
तुलसी इनके लिए विधर्मी, देरिदा को ख़ास लिखेंगे ।
इनके कुत्सित सम्बन्धों से पाठक का क्या लेना-देना,
लेकिन ये तो अड़े हैं ज़िद पे अपना भोग-विलास लिखेंगे ।
(हरम=अन्तःपुर,जनानख़ाना, मुद्रा=लेखक मुद्राराक्षस,
देरिदा=विखण्डनवाद का सिद्धान्त देने वाले पाश्चात्य
विद्वान जॉक देरिदा)
अदम गोंडवी जी के परिवार की ओर से
दिलीप कुमार सिंह उर्फ दिलीप गोंडवी
खतरनाक कवि एंव साहित्यकार
निवास स्थान -आटा पूरे गजराज सिंह परसपुर जिला- गोण्डा- उत्तर प्रदेश-271504/
dilipgondvi@gmail.com
9958253708