निकाय चुनाव:सरकार की नियत पर बुद्धिजीवियों ने उठाए सवाल

ग्लोबल टाइम्स
बी जी मिश्र
शाहाबाद, हरदोई। नगर निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर आए कोर्ट के फैसले के बाद आरक्षण सरकार की गले की हड्डी बन गया है । राजनीति से जुड़े लोगों ने सरकार को घेरना प्रारंभ कर दिया है वहीं बुद्धिजीवी भी सरकार की नियत पर सवाल उठाने लगे हैं। हाई कोर्ट के निर्णय के बाद कोर्ट ने दो ऑप्शन सरकार को दिये अगर वह समय पर चुनाव कराना चाहती है तो बिना आरक्षण के कराएं और अगर आरक्षण देना चाहती है तो ट्रिपल टी के अनुसार उसे आरक्षण लागू करना होगा। सरकार ने दूसरे ऑप्शन को उचित समझा और ऐलान कर दिया कि आयोग बनाकर आरक्षण की व्यवस्था लागू करेगी। इससे चुनाव टलने के आसार बढ़ गए हैं। अधिकांश लोगों का मानना है कि सरकार यदि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का हक देना चाहती थी तो उसने पहले ही आरक्षण नियमों के विपरीत क्यों किया। लोगों को हाई कोर्ट जाने का मौका दिया। राजनीतिक मामलों के जानकार हसन अख्तर खां का मानना है आरक्षण के मामले में सरकार की नियत में खोट था इसीलिए सरकार ने रैपिड सर्वे के आधार पर आरक्षण किया। श्री खान ने कहा जब कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार को ट्रिपल टी के आधार पर आरक्षण न कराने के लिए लताड़ लगाई तब सरकार बैकफुट पर आई। उन्होंने कहा सरकार की नियत में खोट साफ दिखाई दे रहा है। सोनू त्रिपाठी का मानना है सरकार को जब पिछड़ा वर्ग का इतना ही ध्यान था तो सरकार ने पहले मनमानी क्यों की । इसका मतलब है सरकार को मालूम था मनमानी करने पर लोग कोर्ट जाएंगे और कोर्ट का फैसला आने के बाद उन्हें चुनाव बढ़ाने का मौका मिलेगा। वही हुआ। सपा नेता शाहिद खान भी सरकार के इस निर्णय से खफा दिखे। उन्होंने भी सरकार पर तोहमत लगाई । सपा नेता ने कहा रैपिड सर्वे के आधार पर आरक्षण कराने पर ही सरकार की मंशा साफ दिखाई देती है। अब सरकार जब घिरी हुई है तो सरकार पिछड़ा वर्ग के आरक्षण दिलाने का राग अलाप रही है।