उत्तर प्रदेशलखनऊ

गौशालाओं में आश्रय नहीं पा सके आवारा गोवंश फसलें बर्बाद किसान तबाह

गोवंश को गौशालाओं में आश्रय देने का मामला चुनावी जुमला बनकर रहा

ग्लोबल टाइम्स-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क, जिला संवाददाता राम प्रकाश शर्मा औरैया।

औरैया। चुनावों के समय आवारा गोवंश को गौशालाओं में आश्रय दिए जाने के तमाम वायदे तो किए गए लेकिन आज तक 90 प्रतिशत गोवंश किसानों की फसलों व सड़कों पर स्वच्छंद विचरण करते नजर आ रहे हैं जिससे आवारा गोवंश को गौशालाओं में आश्रय देने का मामला सिर्फ चुनावी जुमला बनकर रह गया है। आवारा गोवंश किसानों की लाखों रुपए की लागत और मेहनत से तैयार फसलों को बर्बाद कर तबाह कर रहा है, जिससे किसानों में शासन व प्रशासन के प्रति आक्रोश है। आखिर किसानों को कब आवारा पशुओं से निजात मिलेगी इस पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
औरैया जिले में आवारा गोवंश इस समय जिले की प्रमुख समस्याओं में है। हर बार के चुनाव के समय राजनीतिज्ञों द्वारा आवारा गोवंश को गौशालाओं में आश्रय दिलाने की बड़े-बड़े वायदे कर किसानों को गुमराह कर उनके वोट हड़प सत्ता हथिया ली जाती है लेकिन बाद में यह वादा आज तक सिर्फ चुनावी जुमला साबित होता ही नजर आया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा पिछले कई वर्ष पूर्व आवारा गोवंश को गौशालाओं में आश्रय दिलाने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में अस्थाई गौशाला बनाए जाने के निर्देश दिए गये थे और इसके चलते कुछ ग्राम पंचायतों में अस्थाई गौशाला बनाने की खानापूर्ति भी की गई, किंतु इन गौशालाओं में मात्र कागजी खानापूर्ति के लिए आज तक उंगलियों पर गिनने लायक गोवंश ही कहीं नजर आ जाएं तो गनीमत होती है 90 प्रतिशत आवारा गोवंश किसानों तो किसानों के खेतों सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाते नजर आ रहे हैं। गौशालाओं के संचालकों द्वारा गोवंश के पालन के लिए प्रति पशु प्रतिमाह 900 रुपए सरकारी धनराशि के साथ ही चंदे की धनराशि व पशुओं के लिए खाद्य सामग्री भी हासिल की जाती है किंतु ज्यादातर गौशालाओं में धरातल पर देखने में आ रहा है कि इनमें मौजूद उंगलियों पर गिनने लायक गोवंश भी भूख प्यास व बीमारी से तड़प तड़प कर मरने को विवश हैं। आवारा गोवंश के झुंड के झुंड किसानों की लाखों रुपए की लागत और मेहनत से तैयार लहलहाती फसलों में घुसकर उन्हें तहस-नहस करने के साथ फसलें खाकर किसानों को बर्बाद तबाह कर रहे हैं जिससे हालत यह है कि फसलों की बर्बादी से जिले के किसान आर्थिक तंगी और कर्जदारी से जूझ रहे हैं। आवारा गोवंश को गौशालाओं में आश्रय दिलाए जाने के सरकारी वायदे और दावे सिर्फ चुनावी जुमला बनकर रह जाने से समस्या से परेशान किसानों में शासन व प्रशासन के प्रति भारी नाराजगी है और यही हालत रही तो आगामी चुनावों में आवारा गोवंश की प्रमुख समस्या के चलते औरैया जिले के चुनावी समीकरण बदले बदले नजर आने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। आखिर किसानों को आवारा गोवंश से कब निजात मिलेगी इस पर प्रश्नचिन्ह लगा है।

Global Times 7

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