राजकीय कृषि बीज भण्डार पर ताला, नहीं मिल रही सुविधा

ग्लोबल टाइम्स 7
न्यूज़ नेटवर्क
टीम बिल्हौर
बिल्हौर : तहसील मुख्यालय के राजकीय कृषि बीज भण्डार पर रोजाना ताला बंद रहता है। इस कारण किसानों को फसलों के बीज व दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं। यही नहीं कृषि संबंधी परामर्श भी किसानों को नहीं दिया जा रहा है। बीते एक सप्ताह से लगातार बीज भंडार पर ताला बन्द रहने की सूचना पर पड़ताल के लिए पहुंची हमारी टीम को बुधवार दोपहर 12 बजकर 56 मिनट पर ताला बन्द मिला।
किसानों को कृषि संबंधी तकनीकी जानकारी, वैज्ञानिक तौर तरीकों एवं प्रमाणित बीजों तथा कीटनाशक दवाओं को मुहैया कराने के उद्देश्य से तहसील मुख्यालय से सटे ग्राम बीबीपुर में राजकीय कृषि बीज भंडार, कृषि रक्षा लघु इकाई स्थापित है। जहां पर केंद्र प्रभारी देवेन्द्र सैनी के अलावा आठ किसान सहायक एवं कामदारों की भी तैनाती है। ताकि दूर-दूर से आने वाले किसानों को सही खाद बीज व कीटनाशक दवाएं उपलब्ध हो सकें। इस समय किसानों को अगैती सरसों, गाजर, मूली, चुकंदर, मटर, पत्ता गोभी, सेम व टमाटर जैसी सब्जियों के बीज की आवश्यकता है, लेकिन यहां पर आए दिन गोदाम बंद होने से किसानों को प्राइवेट दुकानों में जीएसटी और भाड़े के नाम पर प्रिंट मूल्य से अधिक दामों पर बीज खरीदना पड़ रहा है जिसका दुकानदार द्वारा कोई बिल भी नहीं दिया जाता। किसान रिनटू कटियार, मुकेश व असीम आदि ने बताया कि बीज गोदाम का हाल बेहाल है। सप्ताह भर से गोदाम पर पहुंचने पर यहां कोई दिखाई तक नहीं पड़ता है। इस सम्बन्ध में मोबाइल से सम्पर्क करने पर केंद्र प्रभारी देवेन्द्र सैनी ने बताया कि हम लोगों की ड्यूटी तहसील में लगी है केन्द्र पिछले 15 दिनों से बंद चल रहा है। केन्द्र खुलने का समय सुबह दस से शाम पांच बजे तक है।
प्रिन्ट मूल्य से अधिक दामों पर बीज खरीदने को मजबूर किसान
राजकीय कृषि बीज भण्डार पर ताला लटका होने के चलते किसान निजी दुकानों पर लुटने को मजबूर हैं। किसानों को सरसों का बीज खाद प्रिन्ट मूल्य से ऊंची कीमत पर बेची जा रही है। किसानों का कहना है कि बीज विक्रेता पर किसी का नियंत्रण नहीं है। विक्रेता किसानों से खाद बीज की मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। जिसकी पड़ताल के लिए नगरपालिका चौराहा जीटी रोड स्थित एक बीज भण्डार पर पहुंचे हमारे पत्रकार ने एक किलो सरसों बीज मांगा जिसका प्रिन्ट मूल्य 280 रूपए था परन्तु दुकानदार ने एक किलो बीज का मूल्य 340 रूपए वसूल किए पूछने पर कि प्रिन्ट मूल्य से अधिक क्यों तो बताया गया कि 18% जीएसटी व भाड़ा जोड़कर, पक्का बिल मांगने पर दुकानदार द्वारा रूपए वापस करते हुए कहा गया जहां बिल से मिले लेलो।