जब-जब धर्म की हानि होती है ईश्वर परमात्मा मानव शरीर धारण कर आता है पृथ्वी पर रश्मि शास्त्री

ग्लोबल टाइम्स-7
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न्यूज नेटवर्क
अनूप गौङ
जिला संवाददाता
कानपुर देहात
पुखरायॉ
भोगनीपुरतहसील क्षेत्र के
अमरौधा ब्लाक के रसूलपुर भलार गांव में आयोजित शिव धाम मंदिर में हो रही श्रीमद् भागवत पुराण कथा के अंतर्गत दूसरे दिन कथा कहते हुए कथा वाचक रश्मि शास्त्री ने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है परमात्मा ईश्वर मानव शरीर धारण कर जमीन पर आता है ।उन्होंने कहा कि धर्म जिसके पक्ष में होता है जीत उसी की होती है ।उन्होंने द्रोपदी का उदाहरण देते हुए कहा कि जब द्रोपदी अपने पांचो पतियों से न्याय की भीख मांग रही थी लेकिन किसी ने नहीं सुना जब इस परमात्मा की ओर ध्यान लगाए तो उन्होंने द्रोपती की लाज बचाई ।धर्म के साथ-साथ आचरण भी होना चाहिए तभी परमात्मा साथ देता है पांडवों के धर्म तो था लेकिन आचरण सही नहीं किया और जुए में अपनी पत्नी तक को हार गए जिसका कष्ट उठाना पड़ा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इच्छा मृत्यु प्राप्त वरदान भीष्म पितामह बाणो की सैया पर लेटे रहे लेकिन मृत्यु भी उनके पास नहीं आ रही थी धर्म के साथ नहीं थे अधर्म का साथ दे रहे थे ।गुरमत के साथ नहीं थे मनमत वालों के साथ थे। इस कारण भीष्म पितामह को कष्ट भोगना पड़ा ।कर्ण का उदाहरण देते हुए कथा वाचक रश्मि शास्त्री ने कहा कि कर्ण दानी बलदानी होने के बाद भी अंतिम समय आया तो उसका वरदान भी अफसाफ बन गया क्योंकि कण ने अपने गुरु परशुराम से छलकर विद्या अर्जित की थी जिसका कष्ट भोगना पड़ा कथा वाचक रश्मि शास्त्री ने कहा कि हमें हमेशा धर्म के साथ रहना है मनुष्य में प्राणियों में सद्भावना तभी आ सकती है जब एक दूसरे का सहारा बने भक्ति का अर्थ होता है कि एक दूसरे की सेवा करते चले जाए दुख व सुख में जब हर एक के साथ शामिल होते हैं तो भक्ति हो जाती है इस अवसर पर शिव धाम मंदिर के पुजारी दीपक महाराज परीक्षित राम प्रसाद निषाद राम प्रकाश बलबीर सिंह प्रेम राजरानी सरिता आदि भक्त उपस्थित थे।