मनुष्य का शरीर धारण करना बड़ी बात नहीं मानवता का चरित्र धारण करना बड़ी बात : आचार्य राम श्याम जी तिवारी

ग्लोबल टाइम्स 7 न्यूज़ नेटवर्क रिपोर्ट
संजीव भदोरिया
बकेवर लखना
इटावा । स्टेट बैंक शाखा लखना के पीछे चल रही श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तीसरे दिन सरस कथा वाचक रूरा कानपुर देहात निवासी पंडित राम श्याम जी तिवारी महाराज जी ने श्रीमद् भागवत की कथा सुनाते हुए भगवान श्रीराम के चरित्र का वर्णन किया उन्होंने कहा कि रामचरितमानस बाबा तुलसीदास जी के द्वारा रचाई गया श्री राम का चरित्र है जो व्यक्ति श्री राम के चरित्र को अपने जीवन में उतार लेता है उसे सांसारिक लालसा नहीं रहती ।
उन्होंने कहा कि राम सदैव अपने भक्तों पर कृपा करते हैं वह फूलों को भी अपने गले में धारण करते हैं तो अपनी शरण में आए हुए कांटो का भी तिरस्कार नहीं करते हमें राम के चरित्र से सीख लेनी चाहिए उन्होंने आगे कहा एक राम ही थे जिन्हें न तो राज्य मिलने पर सुख की अनुभूति हुई और ना ही बनवास होने पर दुख की वह हर समय यथावत रहे उन्होंने ना सुख की चिंता की और ना ही दुख की प्राणी मात्र को अपने जीवन में सदैव समतल रहना चाहिए हम जब दुख की अनुभूति करते हैं तो हमें दुख का एहसास होता है और सुख की अनुभूति करते हैं तो सुख का एहसास होता है उन्होंने रामचरित पर विस्तृत कथा का रसपान कराते हुए उपस्थित जनसमुदाय को आगाह करते हुए कहा की हर व्यक्ति को नारियल के समान होना चाहिए कठोरता बाहर से दिखे परंतु हृदय कोमल हो दीन दुखी गरीब कमजोर पर सदैव हमें सहानुभूति रखनी चाहिए तभी हम मनुष्य कहलाने योग्य हो पाएंगे मनुष्य का शरीर धारण करना बड़ी बात नहीं बल्कि मानवता का चरित्र धारण करना सबसे बड़ी बात है उन्होंने आगे कहा कि जो लोग किसी दूसरे को बिना वजह दुख देते हैं उनके दिल दुख का निवारण ईश्वर भी नहीं करता और जो व्यक्ति बिना वजह दिए गए दुख को भी सहन कर लेता है उसे ईश्वर सदा पुरस्कृत करता है मानवता ही पूजा है आज के परिवेश में जो व्यक्ति प्रभु की शरण में चला जाता है वही मानव कहलाने योग्य प्रभु की भक्ति के बिना मनुष्य शरीर धारण करने के बावजूद भी वह व्यक्ति पशुता को ही प्राप्त करता है ।