मित्रता हो तो श्री कृष्ण सुदामा जैसी- भागवताचार्य अंकुश

ग्लोबल टाइम्स-7, डिजिटल न्यूज नेटवर्क, जिला ब्यूरोचीफ राम प्रकाश शर्मा औरैया।
बिधूना, औरैया। घसारा गांव के वन खंडेश्वर मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन सोमवार को वृंदावन धाम मथुरा के भगवताचार्य अंकुश जी महाराज ने श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के साथ ही सुदामा चरित्र का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता हो तो श्री कृष्ण सुदामा जैसी। भागवताचार्य ने कहा कि सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र का दुख दर्द समझे और बिना कहे संकट में उसकी मदद करें।
भगवताचार्य ने कहा कि आज के समय में मित्रता भी स्वार्थ सिद्धि तक सिमटती जा रही है जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण एवं चिंताजनक है। गरीबी की हालत में सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर अपने मित्र भगवान श्री कृष्ण से मिलने द्वारिका जाते हैं और जब वह महल के द्वार पर पहुंचकर पहरेदारों को बताते हैं कि वह श्री कृष्ण के मित्र हैं तो पहरेदार यह कहकर कि एक दरिद्र भगवान श्री कृष्ण का मित्र नहीं हो सकता बता कर उनका उपहास भी उड़ाते हैं। हालांकि एक पहरेदार महल के अंदर जब द्वारकाधीश को महल के बाहर सुदामा नाम के एक दरिद्र को खड़े होने की बात बताता है तो भगवान श्री कृष्ण नंगे पांव महल के द्वार की तरफ दौड़ पड़ते हैं और सुदामा को पकड़ कर अपने गले लगा लेते हैं भगवान श्री कृष्ण सुदामा से लिपट कर इतने भावुक हो जाते हैं कि उनके अश्रुओं से सुदामा की पैर भी धुल जाते हैं। भागवताचार्य ने कहा कि मनुष्य योनि में जन्म पाना अति दुर्लभ है इस लिए मानव को सदाचरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि माता-पिता संतों दिव्यांगों व वृद्धों की सेवा से बढ़कर कोई दूसरा पुण्य कार्य नहीं है वहीं श्रीमद् भागवत कथा कराने वालों को बहुत बड़ा पुण्य लाभ अर्जित होता है जबकि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण मात्र मानव के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। कथा के समापन पर आरती के बाद प्रसाद वितरित किया गया। कार्यक्रम संयोजक सुमन शुक्ला सुरेंद्र बाबू शुक्ला के साथ ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।