उत्तर प्रदेशलखनऊ

आर्म्स एक्ट के 40 केस अधर में लटके जिन हथियारों का प्रयोग कर जवाहर बाग पर किया गया कब्जा


गोपाल चतुर्वेदी
ग्लोबल टाईम्स 7 न्यूज
मथुरा
जिन हथियारों को प्रयोग कर जवाहर बाग पर कब्जा करने वाले लोगों ने तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और थानाध्यक्ष फरह संतोष यादव को मौत के घाट उतार दिया। उन असलाहधारियों के केस सीबीआई ने मथुरा की अदालत में ही छोड़ दिए हैं। जब कि उनकी हत्या संबंधी केस सीबीआई अदालत गाजियाबाद में स्थानातंरित हो गया है। अधिवक्ता के मुताबिक यह दोनों केस साथ-साथ चलने चाहिए।
जवाहर बाग पर कब्जा करने वालों के पास बहुतायत में असलाह थे। वारदात के बाद पुलिस ने इनको बरामद होना भी दिखाया था। इस संबंध में हत्या के साथ ४० केस आर्म्स एक्ट के भी दर्ज हुए। यह सभी एडीजे षष्टम अभिषेक पांडे की अदालत में चल रहे थे। हाईकोर्ट ने १९ और २० दिसंबर को आदेश कर मथुरा में चल रहे हत्या के मुकदमे को सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद में स्थानातंरित करने का न केवल आदेश दिया बल्कि केस का ट्रायल शुरू करने का आदेश भी किया। जानकारी रहे हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच पूरी होने तक केस की सुनवाई पर मथुरा मेें रोक लगा दी थी। हत्या के मुकदमे के साथ साथ इसी अदालत में ४० केस आर्म्स एक्ट के भी चल रहे थे। यह मुकदमें अभी मथुरा मेें ही चल रहे हैं।
अधिकारियों की भी दी है रिपोर्ट
तत्कालीन एसएसपी, डीएम सहित अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के सीबीआई की रिपोर्ट में नपने की आशंका है। जो रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी है उसमें इनका जिक्र है। २० दिसंबर को हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है कि जिन अधिकारी कर्मचारियों ने अपने कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही की है उनकी रिपोर्ट मुख्य सचिव के पास भेजी जाए। आदेश पर इस रिपोर्ट को सीबीआई ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव के पास भेजा है।
एक साथ हो सुनवाई : एके गौतम
जवाहर बाग कांड के आरोपियों के अधिवक्ता एलके गौतम ने बताया कि विधि के अनुसार हत्या के मुकदमों के साथ ही आर्म्स एक्ट के मुकदमों की सुनर्वाई भी एक साथ होनी चाहिए। हत्या का मुकदमा तो सीबीआई की अदालत में स्थानातंरित हो गया परंतु उसके साथ चल रहे आर्म्स एक्ट का मुकदमें गाजियाबाद स्थानातंरित नहीं हुए हैं।

Global Times 7

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