उत्तर प्रदेशलखनऊ

उत्तर मध्य रेलवे ने गाजियाबाद-प. दीन दयाल उपाध्याय सेक्शन में ऑटोमेटिक सिग्नलिंग को पूरा कर हासिल की बड़ी उपलब्धि

गाजियाबाद- प. दीन दयाल उपाध्याय सेक्शन बना भारतीय रेल के मुख्य मार्ग का सबसे लम्बा ऑटोमैटिक सिग्नलिंग वाला बना सेक्शन

ग्लोबल टाइम्स 7
न्यूज़ नेटवर्क टीम
रिजवान खान
अकबरपुर
30 दिसाबर 2022

भारतीय रेलवे नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है। ट्रेनों को समय पर और सुरक्षित तरीके से चलाने के लिए भारतीय रेलवे समय-समय पर तकनीकी बदलाव करता रहता है और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करता रहता है। आधुनिक तकनीक के उपयोग के संबंध में, सिग्नलिंग प्रणाली के आधुनिक स्वचालन यानी स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली का उद्देश्य भारतीय रेलवे के भीड़भाड़ वाले नेटवर्क या उच्च घनत्व वाले मार्गों में मानवीय त्रुटि को कम करने और लाइन क्षमता को बढ़ाने के लिए ट्रेन संचालन में सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाना है।

संचालन की दक्षता में वृद्धि से यातायात घनत्व में वृद्धि होगी। इसके परिणामस्वरूप लोकोमोटिव और वाहनों की आवश्यकताओं की संख्या भी कम होगी। उच्च गति और भारी भार के लिए कर्षण में आधुनिकीकरण कुशल सेवाओं के लिए स्वचालित सिग्नलिंग के उपयोग की गारंटी देता है।
नई दिल्ली-प. दीन दीनदयाल उपाध्याय सेक्शन उत्तर मध्य रेलवे का एक अत्यंत घनत्व वाला खंड है, यह खंड पूर्वी भारत (कोलकाता की ओर) को पश्चिम भारत (नई दिल्ली की ओर) से जोड़ने वाले मुख्य गलियारे पर भी है। 30.12.2022 को सतनरैनी-रसूलाबाद-फैजुल्लाहपुर सेक्शन (16.2 किमी) में स्वचालित सिग्नलिंग की स्थापना के साथ नई दिल्ली – दीन दयाल उपाध्याय खंड (756 किमी) अब पूरी तरह से स्वचालित सिग्नल वाला खंड हो गया है। इससे कुल 892 रूट किमी. और 1910 ट्रैक कि.मी. उत्तर मध्य रेलवे पर स्वचालित सिग्नलिंग के साथ कमीशन किया गया है जो सभी क्षेत्रीय रेलवे में सबसे अधिक है।
विगत 9 माह में 9 ब्लॉक सेक्शन में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली को स्थापित करने का कार्य किया गया। महज 32 माह में, 163 किलोमीटर के प्रयागराज – कानपुर खंड के 24 ब्लॉक सेक्शनों में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग स्थापित करके पुरे भारतीय रेल में नया मील का पत्थर स्थापित किया है।
उपर्युक्त दोनों ब्लॉक सेक्शन में प्रत्येक रिले हट में पावर सप्लाई के निर्बाध आपूर्ति के लिए इंटीग्रेटेड पावर सप्लाई सिस्टम लगाया गया है। सिग्नलिंग उपकरणों की विफलता की स्थिति में विफलता के कारणों का पता लगाने में अधिक समय न लगे, इसके लिए सिग्नलिंग उपकरणों के डाटा को एनालिसिस करने के लिए डेटालॉगर स्थापित किया गया है। डटलॉगेर से एंटी-थेफ़्ट अलार्म सिस्टम, एटी सप्लाई मॉनिटरिंग, रिले रूम डोर मॉनिटरिंग सिस्टम को भी जोड़ा गया है। एकीकृत सञ्चालन हेतु इस डटलॉगेर को प्रयागराज मंडल के सेंट्रल डटलॉगेर सेण्टर के इंटीग्रेटेड किया गया है।
यह उपलब्धि महाप्रबंधक, श्री सतीश कुमार और पीसीएसटीई श्री एम. के. बेउरा से प्राप्त निरंतर मार्गदर्शन और प्रोत्साहन के साथ हासिल किया गया है। इस बड़े मील के पत्थर को हासिल करने में मंडल और प्रोजेक्ट यूनिट सिग्नल और दूरसंचार टीम द्वारा बड़ा प्रयास किया गया है।
गाज़ियाबाद-दीनदयाल उपाध्याय खंड में स्वचालित सिग्नलिंग कमीशनिंग का इतिहास इस तथ्य से देखा जा सकता है कि नैनी-प्रयागराज खंड 1973 में सबसे पहले कमीशन किया गया था, इसके बाद 1987 में टूंडला-मितावली, फिर 1989 में अलीगढ़-दाउदखान और इसी क्रम में सतनरैनी से रसूलाबाद एवं रसूलाबाद से फैजुल्ला स्टेशनो के बीच 16.02 किलोमीटर लम्बे खंड पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग आधारित ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली की कमीशनिंग के साथ आज दिनांक 30.12.22 से पूरे 752 किलोमीटर के खण्ड को स्वचालित सिग्नलिंग के साथ चालू कर दिया गया है। इससे इस खंड में गाड़ियों की समयपालनता एवं संरक्षा और बहतर होगी|

Global Times 7

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