उत्तर प्रदेशलखनऊ

विलुप्त होता जा रहा है,ट्रांजिस्टर से लुफ्त उठाने का युग !

खोज खबर,प्रस्तुति ब्रजेश बाथम
कंचौसी,सहार ब्लॉक रिपोर्टर

Global times7 news network

ट्रांजिस्टर जिसे देहात के लोग रेडियो भी कहते है,गरीबों के लिए सबसे सस्ता और लोकप्रिय मनोरंजन का साधन अब कही कही ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़कर लगभग विलुप्त होता जा रहा है।इसका मुख्य कारण टी वी और आधुनिक मोबाइल को माना जा सकता है।आज से पंद्रह बीस साल पहले लोगो का मनोरंजन का मुख्य साधन ट्रांजिस्टर हुआ करता था।खेत खलियानों में किसान खेती के साथ साथ अपनी थकान दूर करने के लिए ट्रांजिस्टर को ही मनोरंजन का मुख्य साधन मानते थे और किसी छायादार वृक्ष के नीचे बैठकर लोकगीतों,फिल्मी गाने,तथा अन्य कृषि संबंधी जानकारियां प्राप्त करके भीषण गर्मियों में दोपहर का समय बिताते थे ।लेकिन आधुनिक समय में लोग सोशल मीडिया के सहारे अपनी पुरानी संस्कृति को भूलते हुए मोबाइल की दुनियां में खो चुके है।चूंकि मोबाइल आधुनिक युग का मनोरंजन तथा अनेक जानकारियों के लिए एक अच्छा साधन है लेकिन नई आने वाली पीढ़ी के लिए यह एक अभिशाप भी है जिसका सबसे अधिक प्रभाव पढ़ने वाले बच्चों पर पड़ रहा है।मोबाइल के कारण कई नवयुवक अपनी जान भी गवां चुके है।भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की कला और संस्कृति अन्य देशों से बिल्कुल भिन्न है।इसलिए हमे अपनी बीपुरानी संस्कृति को कभी नहीं भूलना चाहिए। क्योंकि हमारी पुरानी संस्कृति में वेशभूषा,मधुर वाणी,प्रेम ,आदर,सत्कार आदि कि झलक आज भी दिखाई देती है लेकिन आधुनिक सभ्यता में सब कुछ विलुप्त होता जा रहा है।

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