अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी नहीं दिया जा रहा ध्यान।

जर्जर भवन में पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे।
ग्लोबल टाईम्स 7 डिजिटल न्य़ूज नेटवर्क टीम कंचौसी औरैया ब्लॉक संवाददाता ब्रजेश बाथम/दिबियापुर वरिष्ठ संवाददाता नंदिनी सिंह की विशेष रिपोर्ट।
प्राथमिक शिक्षा में सुधार के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है, लेकिन स्कूलों के जर्जर भवनों की मरम्मत का कार्य नहीं कराया जा रहा है। विद्यालयों में शिक्षण सत्र शुरू हो गया है। ऐसे में बच्चे स्कूलों के जर्जर भवन में पढ़ने के लिए मजबूर है। स्कूलों के खस्ताहाल भवनों को देख अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं।इसका असर स्कूलों में होने वाले नामांकन पर भी पड़ रहा है। ग्राम जमौली स्थित प्राथमिक विद्यालय का लगभग 20 साल से अधिक पुराना भवन जर्जर होने लगा है। स्कूल की दीवारों में जगह-जगह दरार पड़ गई है। दीवारों का प्लास्टर उखड़ रहा है। वर्षाकाल में दीवारों में सीलन हो जाती है। जर्जर भवन के कारण दुर्घटना की आशंका लगी रहती है। जर्जर भवन की सुध नहीं लिए जाने से चिंता का विषय बना हुआ है।प्रधानाध्यपिका पूर्णिमा प्रजापति और शिक्षक विमल कुमार ने बताया कि भवन की पुरानी छत में लगी फर्शियां आपस मे जाइंट छोड़ चुकी हैं। दीवारों में भी दरार हो चुकी है। वर्षा होने पर कभी भी गिरने की आशंका बनी हुई है। दीवारों में भी दरारें पड़ चुकी हैं और प्लास्टर हाथ लगाने भर से उखड़ रहा है। वर्षा के दिनों में सीलन के कारण कमरों में नमी और उमस महसूस किया जा सकता है। गांव के छोटे गरीब परिवार के बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ने के लिए विवश हैं। शिक्षकों ने इस दिशा में कई बार अधिकारियों को भी अवगत कराया गया है, परंतु ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बच्चों के साथ शिक्षक भी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। शिक्षकों ने नया स्कूल भवन बनाने की मांग की है।