उत्तर प्रदेश

संचालन कंपनी की उपेक्षा से कबाड़ हो रही हैं कई अस्पतालों में खड़ी एंबुलेंस गाड़ियां

ग्लोबल टाइम्स-7 न्यूज़ नेटवर्क 0006
राकेश कुमार मिश्रा
उपजिला संवाददाता
03 जुलाई 2024

शिवली कानपुर देहात, एंबुलेंस संचालन कम्पनी की उपेक्षा से दस वर्ष पूर्व करोड़ों रुपए की लागत से खरीदी गई एंबुलेंस की गाड़ियां मामूली खराबी के चलते मरम्मत के अभाव में कबाड़ हो रही हैं जबकि एंबुलेंस संचालन का काम देख रही जी.वी.के. कंपनी प्रशासन के अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं जिससे करोड़ों रुपए से खरीदी गई एंबुलेंस की गाड़ियां अस्पतालों में कबाड़ के रूप में शोपीस बनी खड़ी है | उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा वर्ष 2012 में ग्रामीण अंचल के लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने हेतु एंबुलेंस गाड़ियों को खरीद कर संचालित कराया गया था और समाजवादी एंबुलेंस का नाम देकर जनता को समर्पित की गई थीं, एंबुलेंस सेवा शुरू होने से लोगों को काफी लाभ हुआ था किंतु एंबुलेंस सेवा के संचालन का काम देख रही जी.वी.के. कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही से एंबुलेंस गाड़ियों की समय समय पर मरम्मत न कराए जाने के कारण चार से 4:50 लाख किलोमीटर चलने के बाद गाड़ियां खराब होने लगी हैं किसी में टायर की कमी है तो किसी की सर्विसिंग होनी है कंपनी द्वारा इन छोटी-छोटी कमियों के सुधार नहीं कराने से लाखों रुपए की लागत से खरीदी गई एम्बुलेंस गाड़ियां कबाड़ होते नजर आ रही हैं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मैथा परिसर में ऐसी तीन एंबुलेंस की गाड़ियां खड़ी हैं जिनमें मामूली खराबी ही है जानकार लोगों को कहना है की गाड़ियों के संचालन में महज दस से पंद्रह हजार रुपए का खर्चा आ सकता है जिससे फिर से गाड़ियां सड़क पर दौड़ने लगेंगी किंतु विभागीय अधिकारी कमीशन खोरी के चक्कर में मामूली खराबी वाली गाड़ियों को संभालने के बजाए लाखों रुपए की नई गाड़ियां खरीदने में जुटे हैं ,जिससे व्यापक पैमाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है वहीं पुरानी खरीदी गई गाड़ियां खड़े-खड़े कबाड़ हो रही है इस बाबत प्रभारी चिकित्सा अधिकारी मैथा डॉक्टर सिद्धार्थ पाठक ने बताया कि एंबुलेंस कंपनी के संचालन का काम सरकार द्वारा जी.वी.के. कंपनी को दिया गया था तथा मरम्मत का कार्य भी उसी के द्वारा कराया जाना है ,स्वास्थ्य विभाग के पास इसके लिए कोई बजट नहीं है |

Global Times 7

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