उत्तर प्रदेशलखनऊ

नहर के माइनरों में दो साल से एक बूंद भी नहीं पहुंचा पानी फसलें हुई बर्बाद!

हर वर्ष बंबों की सिल्ट सफाई के नाम पर सरकारी धन का हो रहा बंदरबांट

ग्लोबल टाइम्स-7, डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क, जिला ब्यूरोचीफ राम प्रकाश शर्मा औरैया।

बिधूना,औरैया। बिधूना तहसील क्षेत्र की अधिकांश बंबों में पिछले लगभग 2 साल से एक बूंद भी पानी टेल तक नहीं पहुंचा है वही कुछ बंबों में साल में एक दो बार पानी छोड़ने की कागजी खानापूर्ति होती नजर आई है, ऐसे में बंबों के सहारे खेतों की पलेवा व फसलों की सिंचाई का सपना संजोए किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है। बंबों में पानी तो नहीं पहुंच रहा है लेकिन हर वर्ष बंबों की सिल्ट सफाई के नाम पर लाखों रुपए के सरकारी धन का बंदरबांट अवश्य होता नजर आ रहा है इस घोटाले पर अब तक शासन व प्रशासन की नजर नहीं पहुंच रही है जिससे क्षेत्रीय बुद्धिजीवी बेहद चिंतित है।
कहने को तो शासन द्वारा नहरों बंबों में टेल तक पानी पहुंचाए जाने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं लेकिन बिधूना तहसील क्षेत्र में जमीनी धरातल पर देखने में आ रहा है कि रतनपुर माइनर, बिकूपुर माइनर, कुदरकोट माइनर, रुरुखुर्द माइनर आदि बंबों में पिछले लगभग 2 साल से एक बूंद भी पानी टेल तक नहीं पहुंचा है। वही क्षेत्र की सहसपुर माइनर, हरचंदपुर माइनर व बांधमऊ माइनर आदि बंबों सिर्फ साल में एक दो बार ही पानी छोड़े जाने की कागजी खानापूर्ति होती जरुर नजर आई है। यही नहीं बंबों में लंबे अर्से से टेल तक पानी ना पहुंचने के कारण सिंचाई के अभाव में फसलें बर्बाद होने का लगातार दंश झेल रहे लगभग आधा सैकड़ा से अधिक गांवों के किसानों का इन बंबों की सिंचाई से पूरी तरह मोह सा भंग हो गया है, किंतु पानी ना पहुंचने के बावजूद भी उपरोक्त बंबों की सिल्ट सफाई के नाम पर प्रतिवर्ष लाखों रुपए के सरकारी धन का बंदरबांट हो रहा है। ऐसा नहीं है कि बंबो में टेल तक पानी न पहुंचने के संबंध में क्षेत्रीय किसानों द्वारा आवाज नहीं उठाई गई बल्कि लगातार शिकायतें किए जाने के बावजूद आज तक किसी के कानों पर जूं नहीं रेंगी है, जिससे किसानों में शासन व सिंचाई विभाग के प्रति भारी आक्रोश भड़क रहा है। क्षेत्रीय बुद्धिजीवियों का साफ तौर पर कहना है कि जब इन बंबों में पानी नहीं पहुंच रहा है तो आखिरकार फिर लाखों रुपए का सरकारी धन खर्च कर इन बंबों में प्रतिवर्ष बेवजह सिल्ट सफाई क्यों कराई जा रही है?

Global Times 7

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